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पश्चिमी भारत को यात्रा
बहरों के इतिहास में आगे चलने से पहले यहाँ पर ( जब कि चावड़ों का राज्य चालुक्यों अथवा सोलंकियों के अधिकार में श्राया) इन दोनों वंशों के समसामयिक राजाओं की तालिका भी दे देना समुचित होगा ।
कल्याण के चालुक्य राजा
१ बीरजी २ कर्ण
३ चन्द्रादित्य
४ सोमादित्य
५ भोमादित्य
अणहिलवाड़ा के चावड़ा राजा
१ वंशराज ( ७४६ ई० से ७६६ ई. तक ) २ योगराज
३ क्षेमराज
४ बीरजी
५. बीरसिंह
०६ रत्नादित्य
७ सामन्त
६ उर धीतक अभिराम
उर ने सामन्त की पुत्री लीलादेवी से विवाह किया, जिसके मूलराज उत्पन्न हुआ, जिससे अणहिलवाड़ा के दूसरे राजवंश का आरम्भ होता है ।
यद्यपि इन दोनों ही आधारों में तथ्यों की समानता है परन्तु प्रारम्भ में थोड़ा-सा अन्तर है, क्योंकि भाटों के इतिहास का कहना है कि राज और बीज नामक दो चालुक्य बन्धु सातवीं शताब्दी में सोरों छोड़कर आए; और 'चरित्र' का आरम्भ कन्नौज के राजा वीरराय से होता है, जिसने गुजरात पर आक्रमण करके यहाँ के राजा का वध किया और लौट कर कन्नौज न जाकर मलाबार तट पर कल्याण चला गया। यहां पर इस सम्भावना का ध्यान रखना अनुचित न होगा कि यही वह विजेता हो सकता है जिसने पूर्व इतिहास में स्वीकृत समुद्री लूट के अपराध के कारण चावड़ों को उनकी प्राचीन राजधानी देव-पट्टण श्रौर सोमनाथ से निकाल बाहर किया था; यह काल भाट द्वारा कहे हुए सातवीं शताब्दी वाले समय से भी मेल खाता है, जो उसने सोरों से कन्नोज में राजधानी का स्थानान्तरण और कल्याण में राज्य संस्थापना के लिए बताया है । इस अनुमान को पट्टण के संस्थापक वंशराज-सम्बन्धी उस उपाख्यान से भी बल मिलता है जिसमें उसके विषय में लुटेरों के साथ मिल कर कल्याण को जाने वाली मालगुजारी के खजाने को लूटने की बात कही गई है। मैकेञ्जी संग्रह' का
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१ मैकेन्जी संग्रह - कर्नल मैकेन्जी १७६६ से १८०६ तक सर्वेयर जनरल आफ इण्डिया के पद पर रहे थे। इस अवधि में उन्होंने हस्तलिखित ग्रन्थों, शिलालेखों, नक्शों एवं अन्य पुरा
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