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________________ अनुवावक का प्रावेदन घोंसलों में बैठे हुए भूरे तीतरों के झुंड हर्ष प्रदर्शन में पेंडुकी से होड़ लगा रहे थे।" (पृ० २५) ___ चन्द्रावती के खण्डरों को सामग्री से निर्मित अहमदाबाद के नये निर्माण पर टॉड को बड़ा आक्रोश था। उन्होंने मुसलमानी और हिन्दू स्थापत्य का अन्तर बतलाते हुए लिखा है :__ "गहरे कटावदार हिन्दू-भवन-समूहों को देखने पर एक चित्र-सरीखी श्यामलछाया गम्भीरतम दृश्य उपस्थित करती है और वे मेघाच्छन्न आकाश से अधिक साम्य लिए हुए तथा अपने पिरामिड जैसे शुण्डाकार शिखरों के चारों ओर खेलते हुए तूफानों की शक्ति पर एक तिरस्कारपूर्ण हंसी हंसते हुए-से जान पड़ते हैं जब कि किसी गुम्बददार मस्जिद और इसकी परियों जैसी गगनचुम्बी मीनारें उसी समय सुन्दरतम दृश्य उपस्थित कर पाती हैं जब प्रकृति शान्त होती है अथवा जब निरभ्र आकाश से किसी खिड़की की रंगीन चौखट में होकर पाती हुई-सी सूर्य रश्मियाँ संगमर्मर की गुम्बद पर स्वछन्द खेल रही होती हैं। (पृ० २५१) कर्नल टॉड से पूर्व विदेशी लेखकों में एक ऐसी भावना घर कर गई थी कि भारतीयों में इतिहास-लेखन की प्रवृत्ति ही नहीं है और न भारतीय-साहित्य में कोई इतिहास जैसी वस्तु ही विद्यमान है। परन्तु, टॉड ने बड़ी लगन के साथ यहाँ के प्राचीन स्थापत्य, स्मारकों, अन्य पुरातन वस्तुओं और इतिहास-लेखन के स्रोत प्राचीन ग्रंथों का सूक्ष्म निरीक्षण करके उनका मूल्यांकन किया और इस पूर्वाग्रह को अमान्य करते हुए यह घोषणा की कि भारत में इतिहास-लेखन के लिये ऐसी प्रामाणिक और अत्यधिक मात्रा में सामग्री मौजूद है कि जितनी उन उन्नतिशील होने का दम भरने वाले देशों में भी उस काल के ऐतिहासिक साहित्य में उतनी मात्रा में नहीं पायी जाती है। उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि___ "कुछ लोग आँख मींचकर यह मान बैठे हैं कि हिन्दुओं के पास ऐतिहासिक ग्रंथों जैसी कोई वस्तु ही नहीं है । x x x मैं फिर कहूंगा कि इस प्रकार अर्थहीन अनुमान लगाने में प्रवृत्त होने से पहिले हमें जैसलमेर और अणहिलवाडा (पाटण) के जैन-ग्रंथ-भंडारों और राजपूताना के राजाओं तथा ठिकानेदारों के अनेक निजी संग्रहों का अवलोकन कर लेना चाहिये ।" (पृ० १५६) पुरातत्त्वान्वेषण में श्रम से मुह चुरा कर भारतीय इतिहास के प्रति हीनभावना बनाने वालों को भी टॉड ने खूब लताड़ा है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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