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प्रकरण - ८; नहरवाळा की स्थिति
[ १५१ २२० अक्षांश उत्तर में निश्चित की है, और इस प्रकार इसे खम्भात की खाड़ी में खींच कर बन्दरगाह बना दिया है जब कि इस प्राचीन राजधानी की सही स्थिति २३°४८' उत्तर और २७°१०' देशान्तर पूर्व में है। बारहवीं शताब्दी में अल इदरिसी (El Edrisi) ने इससे नितान्त भिन्न विवरण दिया है। यह तो ठीक है कि उसने बहुत थोड़ा लिखा है परन्तु बलहरा राज्य के विस्तार, वैभव, व्यापार और धर्म के विषय में जो कुछ लिखा है वह सही और तथ्यपूर्ण है, और वह सब मेरे एतद्विषयक सभी पूर्वनिष्कर्षों की पुष्टि करता है। ____सौभाग्य से, और बहुतों के लिए दुर्भाग्य से, वह समय लद चुका जब कि साहित्यिक छल चल जाता था, अथवा जब हॅरॉडोटस' (Herodotus) जैसे अविश्वसनीय विद्वानों की सारहीन और अशुद्ध कृतियाँ गॉसलिन (Gosselin) जैसे लोगों के पष्ठों पर तथ्य-रहित चाकचक्य-युक्त प्रकाश डाला करती थीं। इस. सुप्रसिद्ध भूगोल-शास्त्री ने भारतीय भूगोल के पिता, हमारे रैनेल (Rennell) पर अपना सारा क्रोध इसलिए उँलेल दिया है कि उसने यह कल्पना करने का साहस किया कि सिन्धु (इण्डस) के मत्स्याहारी अथवा नरभक्षी पदीनों को सुन्दरं गङ्गा के किनारे बसाया जा सकता था; और इस भूल के लिए परम उदारता दिखाते हुए यह अनुमान लगा बैठा कि उसने यह भूल 'पद्धर' (गंगा का संस्कृत नाम) शब्द के कारण की है-और, इसके प्रमाणस्वरूप वह आनन्दपूर्वक पॉम्पोनियस मेला (Pomponius Mela) का प्रमाण भी देता है । एक प्राचीन भौगोलिक भूल के आधार पर कि पद्दर (Paddar) नाम की एक नदी अजमेर की पहाड़ियों से निकल कर कच्छ की खाड़ी में गिरती है, वह यह मान बैठा है कि हॅरॉडोटस के पदीन वहीं होने चाहिएँ, और हमारे देशवासी के "पदीनों को गंगा के तट पर रहने वालों में मिला देना, एक विचित्र ही कल्पना है" वाक्य
. हॅरॉडोटस का जन्म ई० पू० ४८४ में हुमा माना जाता है। उसने महान् विश्व-इतिहास-ग्रंथ लिखा था जिसमें प्रायः तत्कालीन सभी ग्रीक ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। हॅरॉडोटस ने अपनी २० से ३७ वर्ष की अवस्था तक संसार के अधिकांश भाग में भ्रमण कियामुख्यतः एशिया माइनर, यूरोपीय ग्रीस और बहुत से प्रायद्वीपों में। बाद में वह एन्थेस से इटली में जाकर बस गया था। उसने अपने ग्रंथ की विस्तृत भूमिका भी लिखी है । यद्यपि उसका लेख परिमाण में बहुत अधिक है परन्तु उत्तरवर्ती अनुसंधानकर्ता उसको प्रामाणिक नहीं मानते हैं । वह पृथ्वी के चपटी होने के सिद्धान्त को नहीं मानता था। भारतवर्ष के विषय में उसका ज्ञान अधूरा था।
-- Ancient India, Mc Crindle, p. Intro. xv : 'Idée bizarre de chercher à confondre les Padeens avec les Ganga---'Recherches sur la Geographie des Anciens' par Gasselin.
(टिप्पणी पृ० १५२ पर चालू)
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