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प्रकरण - ८; नहरवाळा और यूरोपीय लेखक [१४६ के अनुवादक ग्रीव्स्' (Greaves) से लेकर सत्पुरुष सर जॉन चार्डिन' (sir John Chardin) तक अरबी साहित्य के प्रत्येक अनुशीलनकर्ता यात्री की आलोचना की है, यहाँ तक कि विद्वान् हाइडे (Hyde) तक को भी नहीं छोड़ा है
इसमें कितना अंश मौलिक है तथा कितना संकलित, फिर भी सराँसन साम्राज्य के विषय में कितने ही तथ्यों की जानकारी का तो यह ग्रंथ ही एक मात्र स्रोत है। इस पुस्तक के बहुत से अनुवादों के संस्करण प्राप्य हैं। सब से पहला अनुवाद १६१० ई० में लंटिन भाषा हुआ था। अबुल फिदा कृत भूगोल मुसलिम साम्राज्य के विस्तार और विवरण की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है, परन्तु लेखक को ज्योतिष का ठीक ठीक ज्ञान न होने के कारण उसके दिए हुए अक्षांश और देशांश अशुद्ध एवं अविश्वसनीय हैं । इसका सम्पूर्ण संस्करण १८४० ई० में पेरिस से प्रकाशित हुना था। उक्त दोनों ही ग्रन्थों को पाण्डुलिपियां 'बोडलिपन लाइब्ररी' और फ्रांस की 'नेशनल लाइ. बेरी' में सुरक्षित हैं।
-E. B. Vol. I, pp. 60-65 John Greaves का जन्म १६०२ ई० में हुमा था। उसने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा पाई और १६३० ई० में वह Gresham College में रेखागणित का अध्यापक नियुक्त हुा । यूरोप भ्रमण के उपरान्त १६३७ ई० में वह पूर्वीय देशों में भी गया और वहाँ उसने ग्रोक, अरबी व फारसी के बहुत से हस्तलिखित ग्रंथ एकत्रित किये। उनके प्राधार पर उसने सम्बद्ध विषयों का व्यापक अध्ययन किया। मिश्र के पिरामिडों के विषय में उसका कार्य सर्वाधिक प्रसिद्ध है । उसकी मृत्यु १६५२ ई० में हुई।
-E. B., Vol. X, p. 79 ' Sir John Chardin का जन्म पेरिस में १६४३ ई. में हुमा था। वह दो बार फारस
व भारत भ्रमण के लिए प्राया था। १६८६ ई० में उसने अपनी यात्रा के विस्तृत विवरण का प्रथम भाग 'The Travels of Sir John Chardin into Persia and the East Indies etc.' (London) प्रकाशित कराया। बाद में, १७११ में 'Journal du Voyage du Chevalier Chardin नाम से उसका सम्पूर्ण विवरण निकला। वह इंगलैण्ड के बादशाह Charles II का दरबारी जोहरी था। उसका देहांत १७१३ ई० में हुआ।
-E B. Vol, V, p. 400 3 Thomas Hyde सुप्रसिद्ध प्राच्यविद्याविद् था। उसका जन्म Shropshire (श्रॉप
शायर) में १६३६ ईस्वी में हुआ था। उसके पिता भी पूर्वीय भाषायें जानते थे और उन्हीं से उसने पूर्वीय भाषा का पहला पाठ पढ़ा था। हाइडे अरबी, फारसी, सीरियाई, तुर्की, मलाई और हिब्रू भाषामों का बहुत अच्छा जानकार था । १६६५ ईस्वी में कुछ दिन सहायक के पद पर काम करने के बाद वह सुप्रसिद्ध बोडलियन लाइब्रेरी का प्रमुख पुस्तकालयाध्यक्ष नियुक्त हुमा प्रोर १७०१ ईस्वी तक उस पद पर कार्य करता रहा। १७०३ ईस्वी में उसकी मृत्यु हुई।
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