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________________ प्रकरण - ६ नहरचाळा [ १४७ है । इस नाम के पीछे कितने ही सुयोग्य ग्रीक, अरब, फ्रांसिसी, अंग्रेज और जर्मन विद्वान् लगे रहे है और इस कहावत को चरितार्थ करते रहे हैं कि 'विद्वानों की भूल भी बुद्धिमत्तापूर्ण होती है ।' प्रायः सभी ने अपनी बिखरी हुई ज्ञान की किरणें उन प्रतापी वंशों पर केन्द्रित की हैं जो इस प्रावृत राजधानी में राज्य करते रहे थे और जो पूर्व में बल्हरा अथवा शुद्धतया बल्ह - राय ( Balharaes ) 'महान् शासक' के नाम से प्रसिद्ध हैं । जब हम जस्टिन ' ( Justin ), स्ट्राबो ( Strabo ) और एरियन ( Arrian) जैसे लेखकों की लेखनी को प्राच्य विषयों पर लिखने 9 'बलहरा' पद से प्रसिद्ध है । उसके पास फौज है, हाथी है, वह बुद्ध की मूर्ति का उपासक है, सोने का मुकुट पहनता है और रईसाना लिबास पहनता है...... नहरवारा नगर में अक्सर मुसलमान सौदागर प्राते रहते हैं, जिनके लिए तिजारत की गुंजाइश है । — The History of India told by its own Historians - Elliot.' Vol. ( 1 ), 1867. PP. 74-75 - An Oriental Geographical Dictionary - Beale, 1894, p. 175. Justin - लॅटिन इतिहास लेखक था । उसके व्यक्तिगत जीवन के विषय में स्पष्टतया कुछ भी ज्ञात नहीं हो सका है । परन्तु सेन्ट जेरोम (St. Jerome ) ने उसका उल्लेख किया है, इससे उसका समय पाँचवीं शताब्दी से पूर्व का निश्चित होता है । वह अपने Historarium Philippicarum Libri नामक महान् इतिहास ग्रंथ के कारण प्रसिद्ध है जिसमें ऐसी बहुमूल्य सूचनाएँ मिलती हैं जो अन्यथा प्रप्राप्य होतीं । E. B., Vol. XIlI, p. 719. Strabo -- सुप्रसिद्ध इतिहास-लेखक मोर भूगोलवेत्ता, जो ईसा से लगभग ५४-५५ वर्ष पूर्व हुआ था। उसकी पहली दो कृतियाँ Historical Memoirs और Continuation of Polybius थीं जो अब उपलब्ध नहीं हैं । उसने स्वयं और उत्तरवर्ती लेखकों ने इनका उल्लेख किया हैं । Geography उसका अन्यतम सुप्रसिद्ध महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है जो सत्रह भागों में है । पन्द्रहवीं पुस्तक में भारत और पसिया का वृत्तान्त है जिसमें अन्य प्राचीन लेखकों के अतिरिक्त सिकन्दर और सिल्युकस के दल के इतिहास-लेखकों के भी श्राधार ग्रहण किए गए हैं। इनमें से सातवीं पुस्तक अपूर्ण है । इस विद्वान् ने होमर (Homer) के भूगोल - ज्ञान का समर्थन और हॅराडोटस के लेखों का खण्डन किया है । E. B., Vol. XXII, pp. 581-583 पॅरिस का कर्ता, जो भडौंच या उसी के शब्दों में, बरुणाजा ( Barugaza ) नगर में व्यापारिक प्रतिनिधि के रूप में रहता था; यह बात हमारे सन् की दूसरी शताब्दी की है। उस समय भडच बहहरा साम्राज्य के अन्तर्गत था । एरियन का समय १४६ ई० के लगभग माना जाता है । वह Periplus of the Erythracan Sea नामक पुस्तक का कर्ता था। भारत के विषय में उसने अपनी इण्डिका ( INDIKA) नामक पुस्तक में विवरण दिया है, जिसको उसकी पूर्व कृति एनाबासिस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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