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पश्चिमी भारत की यात्रा महत्त्व भी है। इस मूर्ति का जो सम्मान प्रदर्शित किया गया है उसका प्रकार प्रायः समझ में नहीं पाता क्योंकि यह उस चूने के ढेर में गड़ी हुई है जो इसके मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए इकट्ठा किया गया है। मुझे यह तो ज्ञात नहीं है कि यह मूर्ति पालनपुर में ही थी अथवा चन्द्रावती से लाई गई थी परन्तु इतना अवश्य कहा जा सकता है कि साधारण वेश-भूषा में समानता होते हुए भी आबू पर जो दैत्य-हन्ता को मूर्ति है उससे यह घटिया बनी हुई है। यह बहुत ही प्राचीन है अथवा अर्वाचीन, इस विषय में मुखाकृति देख कर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि यह अर्वाचीन नहीं है । पालनपुर को बलहरा राजाओं में परम प्रकाशमान सिद्धराय महान् की जन्म-भूमि होने का भी गोरव प्राप्त है । यदि यह सच है तो, जैसा कि कुमारपाल के इतिहास में लिखा है, अवश्य हो उसकी माता, राजा कर्ण की स्त्री, हिन्दू कुलदेवी के मन्दिर की यात्रा न करके अपने मूल्यवान गर्भ को लिए हुए मनौती पूरी करने के लिए सिन्धु के पश्चिम में किसी अन्य स्थान की यात्रा के लिए जा रही होगी; इस विषय में विस्तार से फिर कभी लिखा जायगा।
आज और कल के दिन में मेजर माइल्स के साथ रहा। ऐसे आनन्द के साथ अड़तालीस घण्टे मैंने बहत थोड़े अवसरों पर ही बिताए थे क्योंकि मैंने उनमें एक सहृदय मित्र व सह-अधिकारी के ही दर्शन नहीं किए वरन् उनके मस्तिष्क में भी वही रुचि और धुन बसी हुई थी जो मेरे दिमाग में घर किए हुए थी। हमारे पास बातें करने और तुलना करने के लिए बहुत कुछ था और पूर्वकालीन जातियों के चरित्र व रहन-सहन के विषय में हमारे निष्कर्ष प्रायः एक समान ही थे। ऐसे जंगलों में अपनी सी ही धुन वाला साथी पाकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। मैंने मेजर के प्रति सम्मान का सर्वोत्तम प्रमाण उन्हें
था। इसके अनुवतियों ने औरंगजेब के अन्तिम समय में हुई गड़बड़ियों के अवसर पर अपने आप दीवान पद ग्रहण कर लिया। किसी फारसी अथवा गुजराती इतिहास के
आधार पर इस वंश को दीवान पद दिया जाना प्रमाणित नहीं होता। स्थानीय जनश्रुतियों में कहा जाता है कि इसका पुनः संस्थापन बहुत पहले पांचवीं शताब्दी में हो चुका था।
--Gazetteer of Bombay Presidency, Vol. V
James M. Campbell 1880, p. 318 पालनपुर सम्बन्धी विशेष सूचना के लिए सय्यद गुलाब मियां मोर मुन्शी कृत 'पालनपुर की तवारीख' (उर्दू व गुजराती दोनों में) देखनी चाहिए। यह तवारीख पालनपुर रियासत की ओर से १९१२ ई० में प्रकाशित हुई थी।
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