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पश्चिमी भारत की यात्रा नहीं रहता । असहिष्णु इस्लामी लोगों ने इन मन्दिरों के प्रति सहनशीलता क्यों बरती, इसका कारण इसके अतिरिक्त और कुछ समझ में नहीं आता कि वे एकेश्वरवादी हैं। इनके बचाव को एक चमत्कार कहा जा सकता है और सौभाग्य से अशिक्षित मरहठा एवं उसके असभ्य अनुयायी पठानों की तो ये पहुँच के बाहर रहे ही थे। ___मैं देलवाड़ा के आधे ही सौन्दर्य को देख पाया था कि दिन बहुत चढ़ गया; संध्या के हल्के प्रकाश से वह भू-भाग प्रावृत होने लगा था और पक्षियों के सान्ध्य-गान ने मुझे सचेत कर दिया था कि वसिष्ठ-मन्दिर की यात्रा के लिए प्रस्थान करने का समय आ गया था, जो अब भी पांच मील दूर था। इस यात्रा में मुझे प्राब्-क्षेत्र का सबसे अधिक मनोमोहक भाग देखने को मिला। इस भाग में खेती अधिक होती है, निवासियों की संख्या भी अधिक है और झरनों तथा वनस्पति की भी बहुतायत है; कहीं कहीं पर भूमि हरे-हरे गलीचों से सुसज्जित है और पग-पग पर, स्वाभाविक अथवा कृत्रिम, कोई न कोई आश्चर्यजनक वस्तु देखने को मिल ही जाती है। सदा की भाँति अदृश्य कमेड़ी अपना सहज स्वागत-गान सुनाती थी तो कभी कभी किसी घनी झाड़ी में से किसी श्यामा की स्पष्ट और पैनी चहक भी सुन पड़ती थी। वहीं से कोई निर्मल जल का सोता मन्द गति से बहता होता था - ये सब मिल कर मुझे उस विस्मृत प्रदेश की याद दिला रहे थे, जहाँ अब मैं लौट कर जा रहा था । भूमि का प्रत्येक खेतीयोग्य टुकड़ा मेहनत के साथ जोता गया था। इसी छोटे-से भू-भाग में मैं आबू की बारह ढाणियों में से चार में होकर गुजरा था। ये सब उस दृश्य के अनुरूप ही थीं; घर साफ-सुथरे और सुखप्रद, प्राकृति में झोंपड़ियों की तरह गोल, मिट्टी से लिपे और हल्के-हल्के रामरज से पुते हुए थे। प्रत्येक बहते हुए झरने के किनारे पर सिंचाई के लिए अरठ अथवा मिस्री - चक्र लगा हुआ था। पानी नजदीक होने के कारण बेरे (छोटे कच्चे कुए) अधिक गहरे नहीं खोदने पड़ते। इन कृषि-योग्य खेतों की बाड़ों पर, जो बहत कर के थूहर की होती हैं, जंगली गुलाब के गुच्छे के गुच्छे लगे हुए थे, जिनको यहाँ पर 'खूजा' (khooja) कहते हैं । इनके बीच-बीच में सेवती (शिवप्रिया) भी है जो भारत के बागों में बहुत मात्रा में लगाई जाती है । दाडिम के वृक्ष ग्रयानिट की पहाड़ी पर, जहाँ टूटी हुई चट्टान के अतिरिक्त मिट्टी देखने को भी नहीं थी, उगे हए थे और अपने नाम को सार्थक कर रहे थे।' कहीं-कहीं खूबानी
१ अंग्रेजी में अनार या दाडिम के लिए Pomegranate शब्द है जो लैटिन के Pomum
granatum से बना है । इसका अर्थ 'दानों या गुळों से भरा फल' होता है।
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