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________________ सञ्चालकीय वक्तव्य [ग वाद ठीक नहीं ऊँचा । हम किसी अच्छे विद्वान् अनुवादक की खोज करते रहे। सन् १९५० ई० में राजस्थान सरकार ने हमारे निर्देशन में इस प्रतिष्ठान की जयपुर में स्थापना की। राजस्थान के इतिहास और संस्कृति विषयक साहित्यिक सामग्री को प्रकाश में लाना यह भी एक मुख्य उद्देश्य इस प्रतिष्ठान का निश्चय किया गया है। इस प्रकार की सामग्री को अच्छे ढंग से प्रकाश में रखने का विचार हमारे मन में सदैव जागृत रहा है । इस प्रतिष्ठान का कार्यभार संभालने में एक अच्छे सहयोगी और सुयोग्य सहायक विद्वान् के रूप में सरकार ने, पहले ही दिन से, श्री गोपालनारायणजी बहुरा को नियुक्त किया। श्री बहुराजी संस्कृत के एम. ए. हैं और अच्छे मर्मज्ञ विद्वान् हैं तथा इतिहास और साहित्य में इनकी बहुत अभिरुचि है, यह, जानकर हमें बहुत सन्तोष तथा प्रसन्नता हुई । मैं अपने अन्यान्य ऐसे ही विविध स्थानों के कार्यों में संलग्न रहता रहा हूँ इसलिए अपना पूरा समय इस प्रतिष्ठान को नहीं दे पाता । अत: मेरी अनुपस्थिति में प्रतिष्ठान का कार्य श्री बहुराजी को हो संभालना होता है । ये उस समय गुजरात के इतिहास के प्रसिद्ध ग्रन्थ अलेक्जेण्डर किनलॉक फार्बस द्वारा लिखे हुए 'रासमाला' का हिन्दी अनुवाद कर रहे थे । इन्होंने मुझे वह बताया और कुछ प्रकरण सुनाये। मैं इनकी अनुवाद करने की प्रसन्न शैली और मूल के भावों को उत्तम ढंग से भाषा में रखने को योग्यता को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। मेरे मन में अपना वह पुराना संकल्प फिर जागृत हो पाया और मैंने इनसे कहा कि आप टॉड के यात्रा-विवरण का हिन्दी अनुवाद करें, मैं इसे किसी भी ग्रन्थमाला में प्रकाशित कर देना चाहता हूँ। श्री बहुराजी ने मेरी चिर अभिलाषा को प्रस्तुत रूप में जो पूर्ण किया है वह मेरे लिए कितने संतोष का विषय है, यह तो वे ही विद्वज्जन समझ सकते हैं जो इस प्रकार की साहित्यिक लालसा या तृष्णा के तीव्र रोग के अनुभवी होते हैं । श्री बहुराजो ने यह अनुवाद कार्य अपने निजी अवकाश के समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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