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प्रकरण - ५; नारायण की मूर्ति
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का पात्र है जिससे इसकी प्रसिद्धि है, वह है - राक्षसराज ( Devil) का 'अँगूठा, क्योंकि हम 'पातालेश्वर' का यही अनुवाद करेंगे । अन्दर घुसते ही आँखें पर्वत की देवी' मीरा' की ओर आकृष्ट होती हैं, जो इस अनेकरूप देवता की पत्नी है । पहली दृष्टि में यही मूर्ति पूज्य - प्रतिमा दिखाई पड़ती है और फिर नीचे झुक कर चट्टान में बने हुए एक गहरे छिद्र में, जो 'ब्रह्मखाळ' कहलाता है, देखने पर शिव का उज्ज्वल नख दिखाई पड़ता है, जो अतीतकाल से लाखों भक्तजनों को अर्घ्य प्रदान करने के लिए आकृष्ट करता रहा है। मन्दिर के सामने ही एक बृहदाकार पीतल का बैल बना हुआ है, जिसकी बगलों पर बलात्कार ( Violence ) के चिह्न मौजूद थे, धन की खोज में बर्बर [अत्याचारी ] के हथौड़े उनमें पार हो गए थे । इस विध्वंस का काला टीका अहमदाबाद के पादशाह या सुलतान मोहम्मद [गड़ा] के माथे लगा था; परन्तु इससे उसे किसी छुपे हुए खजाने की प्राप्ति हुई या नहीं, इसका पता नहीं है; यद्यपि गाथा में अपने प्रीतिपात्र वाहन के साथ दुर्व्यवहार के कारण म्लेच्छ राजा पर शिव के प्रकोप का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है । अचलगढ़ का ध्वंस करके 'विजय के लाल पङ्खों' से अपने झण्डे लहराते हुए जब वे प्राबू से उतर रहे थे तो एक अप्रत्याशित स्रोत से आने वाली विपत्ति उनकी बाट देख रही थी। जिन बुर्जों को वे पीछे छोड़ कर आए थे उनमें से निकल कर मधु मक्खियों के एक दल ने उन पर आक्रमण किया और जालोर तक आततायियों को नहीं छोड़ा। विध्वंसकों पर प्राप्त इस विजय को चिरस्मरणीय बनाने के लिए इस स्थान का नाम 'भँवरथाल'. (Bhomar thal) रक्खा गया । एक मन्दिर भी खड़ा किया गया तथा भगोड़ों द्वारा छोड़े हुए शस्त्रों पर अधिकार करके एक विशाल त्रिशूल बना कर देवता के सामने स्थापित किया गया और नन्दी के अपमान का इस प्रकार बदला लिया गया ।
मुख्य मन्दिर के चारों ओर बने हुए छोटे-छोटे मन्दिरों में से एक के बाहर प्रलय कालीन जल में हज़ार फनवाले शेषनाग पर भगवान् नारायण की मूर्ति तैर रही है, जो अपनी [योग] निद्रा से जागने पर अपने श्राप को 'ऊपर और सूखा' पा कर अवश्य ही आश्चर्य करेंगे। जब मैंने महन्त को कहा कि विष्णु के लिए स्थान उपयुक्त नहीं है तो उसने धीरे से उत्तर दिया 'मुझे तो चूने (Chunam) के लिए जगह चाहिये थी और जब मैंने उस अपवित्र हुए मन्दिर के अन्दर देखा
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'ग्रन्थकार ने यहां Me'ra शब्द लिखा है । 'पार्वती' के पर्यायों में तो ऐसा कोई शब्द मिलता नहीं है ।
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