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________________ प्रकरण - ५, मेरिया [ ८५ चय नहीं था' यद्यपि ऐसा पाया गया है कि यह बहुत प्राचीन काल से प्रचं. लित था । यह एक विचित्र तथ्य है, जैसा कि द' प्रामविले ने आगे चल कर कहा है कि पशुओं की यह मदिकोर' अथवा शुद्ध रूप में 'मुर्दाखोर' नामक विशेष जाति प्लिनी, अरिस्टॉटल और टिसियस', (CTesias) के लक्ष्य में भी इसी 'मार्टि चोरा' (marti-chora) नाम से आई होगी; उन्होंने अपनी भाषा में इसका पर्याय ____A)9POROparos दिया है क्योंकि 'मुर्दाखोर' फारसी शब्द है जो, 'मुर्दा' [अर्थात मरा आदमी ] और खोर खुरदन, खाना] शब्दों के योग से बना है। ग्रीक लेखकों की इस शब्द-व्युत्पत्ति से तीनं निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं ; पहला यह कि यह पाशविक सम्प्रदाय बहुत पुराना है ; दूसरा यह कि पारसी लोगों का इन प्रदेशों से बहुत प्राचीन काल से घनिष्ठ सम्पर्क रहा होगा; और तीसरे यह कि पाश्चात्य इति १ इस व्यापारिक नगर के पूर्व निवासी वे लोग थे जिनको 'मविकोर' (Merdi-Coura) या नरभक्षी या मतमांस-भक्षी कहा जाता है और अभी तक अधिक समय नहीं हुमा है कि यहां बाजार में नरमांस बैंचा जाता था। -Travels of M. de Thevenot, Paris, 1684 á Antiq., Geograph. de l'Inde, p. 90 ३ प्लिनी के विषय में McCrindle ने अपनी Ancient India नामक पुस्तक (p. Io) में लिखा है कि 'विचित्रताओं से उसको इतना अधिक प्रेम था कि उसने कितनी ही असम्भव कल्पनाओं को भी सत्य मान लिया है । अतः उसके विवरणों में कहीं कहीं प्रमाद पाए जाते हैं।" Cunningham's Ancient Geography of India. -1924; p. xxiv । सुप्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक अरिस्तू का जन्म मेसीडोनिया के स्टॉगिरा (Stagira) नामक स्थान में ई० पू० ३८४ में हुआ था। वह प्लेटो (अफलातून) का शिष्य और फिलिप के पुत्र अलॅक्जेण्डर का गुरु था। वह संसार का सब से बड़ा विचारक और दिमागदार माना जाता है । उसकी कृतियों का संग्रह Qrganon नामक पुस्तक में संकलित है। उसकी मृत्यु ई० पू० ३२२ में हुई। --N. S. E. p 68 ५ Ctesias ग्रीक चिकित्सक और इतिहासलेखक था जो ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी में हुआ था। उसने फारस और भारत के इतिहास भी लिखे हैं जिनमें हरॉडोटस की मान्यताओं की आलोचना की है । बाद में अरिस्तू ने अपने लेखों में टीसियस द्वारा लिखित तथ्यों को भी अप्रमाणित सिद्ध किया है ।-E. B. Vol. VI, p. 677 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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