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पश्चिमी भारत की यात्रा खारी था। इन मजबूत पहाड़ी लोगों को एक चट्टान से दूसरी चट्टान पर और कई गज गहरे गड्ढों को लांघ कर लपक के साथ चलते हुए देखने में बड़ा
आनन्द प्राता था; ये उस 'इन्द्र-वाहन' को ठीक साधे रहते थे जो प्रत्येक ऊँचेनीचे कदम के साथ लचक जाता था; परन्तु मेरा बुड्ढा गुरु इन साबित कदम प्राणियों की उछल-कूद के बारे में बराबर जोर-जोर से शिकायत करता रहा क्योंकि वे उसकी आधी उखड़ी हुई हड्डियों पर दया करने की प्रार्थना पर ध्यान नहीं देते थे और ऊपर से हंसी करते हुए कहते थे कि 'यह तो स्वर्ग के मार्ग के समान है, जो सरल नहीं होता।' ये राहती अपने को राजपूत बतलाते हैं और जो मेरे साथ थे उनमें से अधिकांश परमार व बाकी के चौहान व परिहार जाति के थे, परन्तु इनमें सोलकी एक भी नहीं था अन्यथा हमारे पास अग्निकुल की चारों शाखाओं के प्रतिनिधि हो जाते, जो पौराणिक आधार पर अपनी उत्पत्ति प्राबू के अग्निकुण्ड से उस समय हुई बतलाते हैं जब दैत्यों अथवा प्रादिमानवों (Titans)' ने शिव-पूजकों को इस देवगिरि (Olympus) से निकाल बाहर करने के लिए शिव के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया था। ये लोग प्रतिष्ठित राजपूतों की अपेक्षा वनपुत्रों से अधिक मेल खाते हैं; सम्भवतः इसका कारण कोहरे, धुन्ध आदि में रहना, क्षुद्र आय और वर्षा में हानिकर पानी पीना आदि हो सकता है। परन्तु, जहाँ तक सम्भव है, ये लोग भी, अन्य बहुत-सी जंगली जातियों की तरह, मिश्रित रक्त के ही हैं, जो अपने को शुद्ध शूद्र-वंश का मानने की अपेक्षा अपनी उत्पत्ति राजपूतों से हुई बतला कर दूषित सिद्ध करना ही अधिक पसन्द करते हैं। इस चढ़ाई में बाँसों के झुण्ड और काँटेदार थूहर के पेड़ ही अधिक हैं, कोई ऊँचा पेड़ तो देखने को भी न मिला; थूहर तो अरावली की एक विशेषता ही है। एक झरने की प्रबल धारा ने पहाड़ के अंतर को काट कर अपना रास्ता बना लिया था; इससे यह बात प्रकट होती है कि इस पर्वत की बनावट में गुलाबी पत्थर, बिल्लौर और भोडल आदि भी खूब हैं; इसके पेटे में भोडल और बिल्लौर का अनुपात भिन्न-भिन्न स्थानों में विभिन्नता लिए हुए था; कहीं-कहीं दोनों की मात्रा बराबर थी तो कहीं पर बिल्लौर की अधिकता थी और उनमें कहीं-कहीं गुलाबी रंग के एक-एक इंच लम्बे भोंडे खुरदरे पत्थर के टुकड़े भी मिले हुए थे। कहीं-कहीं पर भारी, घने और नीले स्लेटों के पत्थर थे जो नीली नसों (नाड़ियों) जैसे मालूम पड़ते थे;
• १ ग्रीक पौराणिक गाथाओं में 'टीटन' (आदि-मानव) कला एवं जादू के आविष्कारक
माने गए हैं।--Larousse Enc. of Mythology-Robert Graves; p. 92
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