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________________ ७६ ] पश्चिमी भारत की यात्रा अथवा कमज़ोर यात्री 'बोध पहाड़' (Mount of Wisdom) पर पहुँच सकता था। पूर्ण स्वस्थ न होने की दशा में ऐसी सहायता प्राप्त करके मैं दुखी नहीं हुआ, दूसरा वाहन मेरे गुरु के काम आ गया, जो मेरे साथ यात्रा में अपने धर्म के सभी मन्दिरों के दर्शन करने के लिए कृत-संकल्प थे। इस प्रकार हमारा दिन अर्बुद के बालकों से वार्तालाप करते हुए अथवा अपने महान् लक्ष्य की ओर देखते हुए बीत गया और अन्त में रात्रि की छाया ने इसके चारों ओर रहस्यपूर्ण अन्धकार फैला दिया। गीदड़ों की गुर्राहट और लोमड़ियों की तेज़ आवाज़ यह सूचित कर रही थी कि जंगल के किसी निराश्रय निवासी के शिकार करने का समय आ पहँचा था; इसी संगीत के साथ प्रायः इसको निरन्तरता पर ध्यान न देते हुए मैं भी अपनी चटाई पर जा लेटा कि जिससे कल के लिए ताज़गी की तैयारी हो जाय। जून १२वीं-"मैंने क्रेमलिन' (Kremlin) में जो कुछ देखा है और अलहम्बा' (Alhambra) के विषय में जो कुछ सुना है उस सबसे बढ़ कर दो महल हैं-एक अमीर आम्बेर का और दूसरा जयपुर का, तीसरा जोधपुर है जो इनमें से किसी एक के समान हो सकता है; परन्तु, पश्चिमी रेगिस्तान के किनारे आबू के जैन मन्दिर हैं जिनके लिए कहा जाता है कि वे इन सभी से बहुत ऊँचे दर्जे के हैं।" यह विवरणी बिशप हंबर की है, जिसे बृटिश जनता को पहले-पहल ' रूसी भाषा में Kremlin का अर्थ 'राज-दुर्ग' होता है। सबसे प्रसिद्ध दुर्ग क्रेमलिन मास्को में है। यह एक पहाड़ी पर मॉस्क्वा नदी के अभिमुख स्थित है और एक ऊँची दीवार से घिरा हुआ १०० एकड़ में फैला हुआ है ।-N.S.E., p. 753. । स्पेन का राजमहल । एक पहाड़ी पर ग्रानाड़ा नदी के अभिमुख स्थित है। इसके कक्षों में मूर्तिकला, कोरणी और स्तम्भों के उत्कृष्ट नमूने हैं । -N.S.E., p. 35. ३ आमेर के प्राचीन महलों को महाराजा पृथ्वीराज (१५०३-१५२७ ई०) ने बनवाया था। बिशप हॅबर ने जो आमेर के राजमहल देखे थे उनको महाराजा सवाई जयसिंह (१६६६-१७४३ ई०) ने पूर्णता प्रदान की थी। जयपुर के राज-प्रासाद भी महाराजा सवाई जयसिंह के बनवाए हुए हैं । जोधपुर का राजदुर्ग भूतपूर्व जोधपुर राज्य के संस्थापक राव जोधा ने सन् १४५६ में बनवाया । उत्तरवर्ती राजाओं ने भी इसमें समय समय पर परिवर्तन आदि करवाए । ४ रेनाल्ड हेंबर (Reginald Heber) का जन्म Chesire में Malpass (मॉलपास) नामक स्थान पर १७८३ ई० में हुआ था। उसने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त की। वह बहुत विद्वान् और प्रतिभाशाली कवि था। 'पैलेस्टाइन' शीर्षक कविता पर उसे ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में सर्वप्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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