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________________ प्रकरण ५ मेरिया (Maireoh); जैन-मन्दिर; पालड़ी; पाबू के किनारे चढ़ाई की तैयारियों; गणेश का मन्दिर; राहतो (Rahtis) या पहाड़ो लोग; पहाड़ के निचले हिस्से की भौगर्भिक बनावट; सन्त को चोटी [सन्त-शिखर] पर चढ़ाई; चोटी पर से विहंगावलोकन ; दाता ब्रिग (भृगु ?) और रामानन्द को पादुका या चरण-चिह्नः बनवासिनी सीता; गुहा-गृह; विशाल दृश्य; चोटी पर से उतराई; अचलेश्वर; पाशविक अघोरी; एक (अघोरी) द्वारा समाधिग्रहण; हिन्दू विश्वासों में प्रसंगति; जैन स्थापत्य के नियम; अग्निकुण्ड; मन्दिर; अचलेश्वरप्रासाद वर्णन; अहमदाबाद के मोहमद बेयरा [महमूव बेगड़ा] द्वारा देवस्थानों को लूट; नारायण की मूर्ति; शिलालेख; राव मान की छतरी; प्राधियाल की मूर्ति; अचलगढ़ के खण्डहर; जन-मन्दिर; घण्टाघर से वृश्यावलोकन; मूर्तियाँ; राव से भेंट; वेलवाड़ा की यात्रा। जून १० वीं-मेरिया (Maireoh)-साढ़े ग्यारह मील; फिर दस मोल से कुछ अधिक सीधे फासले पर श्रेणी को पार कर के चलना पड़ा। पहले पांच मील का रास्ता एक सुन्दर घाटी में हो कर गया है जहां पर बहुत लम्बे समय से हल नहीं चला है और अब वहाँ जंगल ही जंगल खड़ा है। पहला मील खतम होतेहोते हमने पालड़ी ग्राम के पास एक छोटे नामरहित नाले को पार किया और चौथे मील पर एक झाँप [प्रपात ] को पार करना पड़ा, जो आबू की चोटी से गिर कर कालिन्द्री के सरदार के निवास-स्थान में हो कर सूकड़ी तक बहता हुआ उसी के साथ लूनी में जा मिलता है। पांचवें मील पर हम घाटी में दाहिने हाथ की श्रेणी की ओर मुड़े, जिसके दक्षिणी छोर पर सिंदुढ़ (Sindurh) नाम का गाँव है । यहाँ से आबू की पूर्वी ढाल द० ३५० पू० और दो प्रसिद्ध गाँव दाँता (Dantah) तथा नेटोरा (Nettorab) द० पू० और पू० में थे जो एक दूसरे से पाँच मील के फासले पर हैं । यहाँ तक हमारे रास्ते की दिशा द० ५०° प० थी; अगले तीन मील तक द० १५° ५० की ओर रुख बदलनी पड़ी जहाँ पर हमने सिरोही श्रेणी को हमीरपुर गांव के पास पार को जिसके नीचे एक चट्टान अलग ही खड़ी थी; इसके एक किनारे पर एक खम्भे की सी शकल का बहत ऊँचा ढेर भी था जो छतरी या मीनार जैसा दिखाई पड़ता था। यह 'पहाड़' कहलाता है और यहाँ से हमारे डेरे [ठहरने का स्थान, मेरिया तीन मील की दूरी पर था। पहाड़ियों के गुच्छे के बीच में बसा हुआ यह गाँव पुराना मालूम होता है। इसमें पांच से कम जैन मन्दिर नहीं हैं । यह तीन भागों में बंटा हुआ है, एक खालसा (जिसका लगान राज्य में वसूल होता है), दूसरा किसी देवड़ा आगीरदार का है और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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