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________________ प्रकरण - ४; देधड़ों का पूर्व इतिहास और शार्ल मॅन (Charlemagne)' के समकालीन अजमेर के राजा माणिकराय के समसामयिक उनके पूर्वजों के विषय में जो कुछ ज्ञातव्य बातें हैं, वे सब तो मैं 'इतिहास' में विस्तारपूर्वक दे चुका हूँ; और इससे पहले की तो वही काल्पनिक सामग्री प्राप्त होती है जो प्रत्येक इतिहास के मूलस्रोत का गला घोंट देती है, चाहे वह ग्रीक, रोमन, फारसी अथवा राजपूती कोई भी हो। पौराणिक पष्ठों से जो प्रस्तावना मिलती है और जिसका भाट लोग समर्थन करते हैं वह इस प्रकार है: "देवड़ों की वंशावली सतयुग से प्रारम्भ होती है जब मनुष्य की प्रायु एक लाख वर्ष की और लम्बाई (क़द) बीस हाथ की होती थी तथा जब हंसों को वाणी का वरदान मिला हुआ था।" इसके बाद के युगों का भी कोई ऐसा वर्णन नहीं मिलता जिसको ऐतिहासिक कहा जा सके । युद्ध, घरेलू झगड़े, वीर-कार्य, निर्दयतापूर्ण व्यवहार, और गुप्त हत्याएं-ये सब किसी रोमाञ्चकारी कथा के लेखक का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं, परन्तु किसी विचारक के मस्तिष्क के लिए उन 'अटपटे और अशुद्ध नामों' से, जो मेरे कुछ कथा-नायकों के लिए प्रयुक्त होंगे, वे पाठक ऊब जायंगे, जो केवल मनोरञ्जन के लिए पढ़ते हैं । अस्तु - ऐसे ही स्रोतों से प्राप्त पराक्रमपूर्ण उदाहरणों को भाटों ने कुछ अन्योक्तिपूर्ण परिचित उपाख्यानों में मिला कर उनके वंशजों के अनुकरण एवं आमोद के लिए इतिहास का रूप दे दिया है, जिनमें से कुछ ने तो प्रसिद्ध लोक-कथाओं के आधार का रूप ले लिया है । मेरे पास लगभग ऐसी चार सौ कथाओं का संग्रह है ; यदि इनका [अंग्रेजी में अनुवाद हो जाय तो संभवतः वे राजपूत संस्कृति का सबसे अच्छा चित्र उपस्थित कर सकेंगे। का प्रजा की दशा जानने के लिए रात को घूमा करता था। सुप्रसिद्ध Arabian Nights (सहस्ररजनो-चरित्र) में हारू और बगदाद की प्रभूत समृद्धि की विचित्र कथाएँ संकलित हैं।-E.B. Vol. XI, pp. 487-88 • शार्लमेन (Charlemagne)-रोम का बादशाह-किश राजा पेपिन का पुत्र ; जन्म ७४२ ई० के लगभग ; बड़े भाई कार्लोमॅन की मृत्यु पर ७७१ ई० में सम्पूर्ण फ्रेंक राज्य का स्वामी हुमा । सैक्सनों और सँरासनों के विरुद्ध युद्ध किया और ८०० ई. मैं रोम का बादशाह हुआ। यह विद्वन्-मण्डली में रहने का शौकीन था। इसने बहुत से विद्यालय भी स्थापित किए थे, संगीत और वेदान्त का भी प्रेमी था। बहुत से गिर्जाघर और महल बनवाए। उसके सचिव और मित्र आइनहार्ड (Einhard) ने उसका जीवन चरित्र लिखा है।-N.S.E., p. 262 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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