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प्रकरण - ४; पूर्व यात्रियों द्वारा वर्णन
[ ६६ थीवनॉट' आदि ने इसका जिक्र किया है और साथ ही उनके वृत्तांतों में 'राजपूतों' के बारे में कोई अच्छी राय व्यक्त नहीं की गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि उनके आगमन के समय उन लोगों ने बिना सोचे समझे ही, जो भी रास्ते में आवे,
निधिमंडल के साथ था । वह भारत में भी आया था (ई० सन् १६३८-३६)। ऑली. रियस ने मैन्डल्स्लो से ही उसकी भारतयात्रा का विवरण प्राप्त किया था और उसे अपने यात्राविवरण के साथ “Beschreibung der Moskowitischen and Persischen Reise" नाम से प्रकाशित कराया था। उक्त पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद जॉन डेविस ने किया जो लंदन से १६६६ ई० में प्रकाशित हुप्रा । पॉलीरियस ने Holstein होल्स्टीन का इतिहास लिखा था तथा शेख सादी कृत
गुलिस्तो का भी जर्मन में अनुवाद किया था।-E. B. Vol. XVII, p. 760. ४ Pietro Della Valle (पीटर डेला वेले) इटालियन यात्री, जो जहांगीर के समय हिन्दुस्तान में घूम रहा था (१६२३-२४ ई.) । इसका पश्चिमी भारत का वर्णन बड़ा उपयोगी है । इसके यात्रा संबंधी विवरणों का प्रकाशन, इसके जीवन-चरित्र के साथ एडवर्ड ने ने दो भागों में "हकलूयात सोसायटी" (Hakluyiat Society) लंदन से सन् १८६२ ई० में प्रकाशित किया था ।--Br. Mu. Cat., p. 480. ५ Francis Bernier फ्रांसिस बनियर, अंग्रेज यात्री, जो (१६५६-१६६८ ई. सन्) में मुगल दरबार में चिकित्सक के पद पर शाही बीमारों का इलाज करता था। इसके भारत संबधी संस्मरण इस प्रकार प्रकाशित हुए:-- I Travels in the Mogul Empire (1656-1668) Tr. from the French ___ by Irving Brock. 2 vols. London, 1826. 2 Bernier's Travels. Constable Oriental Miscellany, Westminister.,
1891. दूसरा संस्करण अधिक प्रसिद्ध है। १ जीन डी थीवनॉट का जन्म पैरिस में १६३३ ई० में हुआ था । भूगोल और भौतिक
विज्ञान के अध्ययन में उसकी गहरी अभिरुचि थी । सन् १६६५ ई० में वह 'होपवैल', नामक जहाज से अत्यधिक किराया देकर बसरा से सूरत आया। वहां से अहमदाबाद और खम्भात गया। फिर बुरहानपुर, औरंगाबाद और गोलकुण्डा होता हुआ मसलीपट्टम पहुँचा। मार्ग में इलोरा की गुफाओं को भी देखा। उसने इन नगरों के व्यापार और उद्योग के विषय में खूब प्रकाश डाला है और इलोरा की विचित्र गुफाओं का वर्णन करने त्राला तो वह पहला यूरोपियन था। १६६७ ई० में फांस लौटते हुए पर्शिया में मियाना नामक स्थान पर केवल ३४ वर्ष की अवस्था में ही वह विद्वान यात्री दिवंगत हो गया। थीवनॉट की मृत्यु २८ नवम्बर को हुई और १६ नवम्बर तक वह अपना यात्रा-विवरण लिखता रहा । उसके लेखों को व्यवस्थित कर के उसके दो मित्रों ने प्रकाशित कराए जिनके अंग्रेजी, डच और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो कर अनेक संस्करण निकले। थीवनॉट का यात्रा-विवरण भारतीय इतिहास के अध्येताओं के लिए बहुत काम का है।
---Indian Travels of Thevenot and Careri-S.N. Sen, 1949.
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