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पश्चिमी भारत की यात्रा ___अब हम देवड़ा रियासत के चित्रण में आगे चलते हैं । यह रियासत हमारे किसी भी मध्यवर्गीय अंग्रेजी सूबे से बड़ी नहीं है और केवल सत्तर मील की लम्बाई व पचास मील की चौड़ाई में इसका विस्तार है। यद्यपि इसके धरातल का अधिकांश भाग पहाड़ी है और समतल भाग रेगिस्तान का किनारा है। जो थोड़ा बहुत रेतीला है, फिर भी पहाड़ी हिस्से में बहुत सी उपजाऊ घाटियाँ हैं और रेतीले समतल भाग में मक्का, गेहूँ और जो बहुतायत से पैदा होते हैं । अरावली और विशाल आबू से निकल कर प्रत्येक दिशा में बहने वाले झरने इसको कई भागों में बाँट कर बहते चले जाते हैं। इसकी सीमा मानचित्र की सहायता से अच्छी तरह समझ में आ सकती है-पूर्व में अरावली की दीवार खड़ी है, उत्तर और पश्चिम में मारवाड़ के पश्चिमी जिले गोडवाड़ और जालोर हैं और पश्चिम में पालनपुर को रियासत है जो अब ब्रिटिश सरकार के संरक्षण में है। बादशाहत के जमाने में जब गुजरात सबसे अधिक धनी सूबों में गिना जाता था तो सिरोही का अपना स्थानीय महत्त्व था क्यों कि समुद्री तट के इलाके से राजधानी व भारत के अन्य बड़े नगरों में जाने वाले व्यापारी काफ़िले यहां पर ठहरा करते थे। इसीलिए पहले के सभी यात्रियों हर्बर्ट, प्रॉलिरियस', डेलावेले (DellaValle)४, बनियर' और
समझ तो लें। हम जबरदस्ती कोई नई बात लादना नहीं चाहते; हमारी प्रजा के किसी भी अंश को मान्यतामों को ठेस पहुंचाने की हमारी इच्छा नहीं है । हमारा सरल सिद्धांत यह है-"जहाँ तक सम्भव हो एकरूपता बरती जाय, जहाँ प्रावश्यक हो विभिन्नता का व्यवहार किया जाय-परन्तु निश्चितता का होना सभी प्रवस्थानों में प्रावश्यक है"। १ क्या यह सम्भव नहीं है कि इस प्रदेश का नाम इसकी (भौगोलिक स्थिति के ही प्राधार
पर रखा गया हो ? सिर (किनारे या ऊपरी भाग) पर है 'रोही' (जंगल) जिसके, वह सिरोहो। • यॉर्क निवासी सर थामस हर्बर्ट ने १६२६ से १६२६ ई. तक पूर्वीय देशों की यात्रा की, जिसका विवरण "Some years' travels into Asia and Africa" नामक पुस्तक में १६३४ ई० में प्रकाशित हुमा । बाद में भी १६३८, १६६४ और १६७७ ई० में इसके संस्करण प्रकाशित हुए 1 यह पुस्तक पूर्वीय देशों से संबद्ध यात्रा-साहित्य में उच्चकोटि
की मानी जाती है।-E. B. vol. xi, pp, 721-22 3 Adam Olearius एडम पॉलीरियस जर्मनी में Duke of Holstein का पुस्तका
लयाध्यक्ष था। बाद में उसने सरकारी गणक आदि बड़े पदों पर भी कार्य किया। ड्य क ने मास्को और फारस में अपना प्रतिनिधि रेशम के व्यापार की स्थिति का अध्ययन करने के लिए भेजा था। पॉलीरियस को उस दूत का सचिव नियुक्त किया गया। इस प्रतिनिधिमंडल ने ई० सन् १६३३ से ३६ तक दो यात्राएं कीं। मैन्डेल्स्लो भी इस प्रति
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