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________________ प्रकरण - ४; भीलों का रहन-सहन [ ५६ जून ७ वीं; बही : हमारा आज का रास्ता सपाट और समतल जमीन पर साढे बारह मील का था । वीरगाँव से तीन मील पर हमने फिर सूकड़ी को पार किया और पवौरी या पावरी (Pawori) पर निकले जहाँ मीणों पर आतङ्क रखने के लिए जोधपुर का थाना या फौजी चौकी है। सात मील पर, पोसालिया से एक मील इस तरफ सिरोही की रियासत में, हमने एक और प्रसिद्ध बिरादरी देखी जिसके राजा ने बृटिश सरकार के संरक्षण में आने के बाद वहीं एक फौजी चौकी कायम कर रखी थी। वीरगांव की तरह बही का भी कोई अपना महत्त्व नहीं है परन्तु अब, रियासत की अनुचित वसलियों से और दूसरे लुटेरों के धावों से बहुत वर्षों तक बरबाद हो चुकने के बाद, दोनों ही गांव धीरे-धीरे समृद्धि की अोर बढ़ रहे हैं । बाबू यहां से द० १० पू० और द० २०° प० के बोच में १३ कोस या २५ मील पर था और मेवास के ऊटवण और माचल क्रमश: द० २०° पू० तथा उ० २०° प० में थे । ऊटवण, माचल और पोसालिया के लुटेरों के कुछ नेता मुझसे मिलने आए और उन्होंने वंशपरम्परागत आदतों को छोड़ देने की प्रतिज्ञा की। ये लोग पुष्ट और फुर्तीले होते हैं । बाँस का धनुष, तीरों का भाथा तथा कमरबन्धे में कटार खोंसे हुए मीणे की आकृति तूलिका के लिए एक रुचिकर विषय उपस्थित कर देती है । मीणों की तरह ही शस्त्र-सज्जित होकर कुछ देवड़ा राजपूत भी मुझसे मिलने आए । हमने तीरन्दाजी की होड़ की और सौभाग्य से मेरा एक तीर देवड़ा के तीर से कुछ गज आगे चला गया। मीणों ने एक खुशी की आवाज़ लगायी परन्तु मैंने दुबारा प्रयत्न करके अपनी इस कीति को जोखिम में न डालने की होशियारी बरतो । देवड़ों की पोशाक का अन्तर केवल उनकी पगड़ी के बंधेज में ही नहीं वरन् उनके बड़े-बड़े पाजामों तथा उनके घेरदार लपेटे हुए वस्त्रों में भी स्पष्ट दिखाई देता था; चमेली के तेल से तर जुल्फें उनके गालों पर आ रहीं थी। आज सुबह के ६ तथा तीसरे पहर के ३ व ५ बजे थर्मामीटर क्रमशः ८६०, ८६° और ६६° पर था और बॅरॉमीटर उन्हीं समयों पर २८०८०' २८°७७' और २८° ७५' बतला रहा था; दूसरा बॅरॉमीटर इनसे १४° नीचे था परन्तु में इस पर विश्वास नहीं करता था। जून ८वी--साढ़े बारह मील । आज के रास्ते का हर कदम एक हलके जंगल मत । ले० टॉड, मरे १८३८ में जीवित | प्रोसियों के अनुवादक का पुत्र मैकफर्सन, मत । मॉण्टेग्यू ने थोडे ही दिन की नौकरी के बाद भारत छोड़ा । मैकनॉटन मृत । पार्टिलरी, कैप्टेन ग्राहम् मृत। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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