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________________ ५८]. पश्चिमी भारत की यात्रा में गरमी के दिनों में अधिक परेशान हग्रा था । यहाँ पर मैं नेपल्स्' (Naples) के शरत्कालीन दिनों की तुलना नहीं करूँगा क्योंकि यहां तो (गरमी का) इतना प्रभाव होते हुए भी मैं अपने निरीक्षण-परीक्षण को लेखनी-बद्ध कर सका था और वहाँ पर अक्तूबर के महीने में स्ट्राडा डी टोलेडो' ( Strada di toledo ) के छायादार किनारे पर मुश्किल से रेंग पाता था और वह भी दो वर्ष बाद, जब कि मेरा स्वास्थ्य काम-चलाऊ हो गया था। मैं यहाँ पर केवल तेज़ गरमी के प्रभाव का ही वर्णन करूँगा जो दूसरे बहुत से राजनैतिक एवं व्यक्तिगत दुःखों के समान विष और उसको शमन करने वाली औषधि को साथ ही उत्पन्न करता है और इस असङ्गतिपूर्ण अनुभव का कारण खोज निकालने का कार्य शरीर-शास्त्रियों के लिए छोड़ देता हूँ। जब तापमान १०८ या इससे भी बहुत नीचे होता है तभी शरीर के सभी रोमकूप खुल जाते हैं और निरन्तर पिघलने (पसीना निकलने) तथा विलय होने (सूखने) का क्रम जारी रहता है। यदि इस तरह निकली हुई भाप को सफ़ेद चद्दर पर ठंडी करके प्रतिक्रिया करने दी जावे तो ठंडक पहुँचाने वाले किसी दूसरे यन्त्र की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। परन्तु, जहाँ तड़के ही तो थर्मामीटर पाला जमानेवाले प्रङ्क पर रहे और दो ही घंटों बाद जब सूर्य सिर पर आ जाय तब खेमें में ६०० से १००° तक तथा बाहर खुली धूप में १३०° तक पहुँच जाय तो कौन सा ढाँचा' कायम रह सकता है ? मैंने इन परिवर्तनों को जैसे तैसे सहन किया है। परन्तु जब मैं उन बीते दिनों की याद करता है और अपने उन साथियों की भी जो मुझ पर गुर्राते थे या मेरे साथ हँसते खेलते थे तो मुझे विचार होता है कि वे कहाँ गए ? मेरे इस विवरण का प्रमाण देने में भी कई कठिनाइयां अनुभव होती हैं-बोस में से केवल दो जीवित हैं---और उनमें से भी एक में ही ऐसा हैं जो स्वदेश लौटने को बचा हैं। जिज्ञासा शान्त करने के लिए यहाँ एक सूची दे रहा हूँ परन्तु दुःख के साथ कहना पड़ता है कि भारत में जाने वालों के भाग्य में प्रायः यही लिखा होता है। १ Naples-इटली का प्रसिद्ध नगर । २ Toledo स्पेन का बहुत प्राचीन और आकर्षक नगर जो टॅगस (Tagus) नदी पर स्थित है।-N.S.E; p. 1223. 3 प्राणी का शरीर। । रामगढ-देशी बटालियन, कर्नल बॉटन, मेजर रफसेज, लेफ्टिनॅण्ट व एडज्यूटेन्ट हिगॉट, लें. बॉटन, डॉक्टर लेडलों और लिमाण्ड, सभी मृत । २० वीं या मेराइन रेजीमेण्ट. ले. कर्नल मेकलीन, मे र यूल, कैप्टेन मेनवाटिंग, वेस्टन, पोर्टयूस, सोली, ले० मेनली, सभी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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