________________
पश्चिमी भारत की यात्रा
ग्रन्थों का यथेष्ट उपयोग किया। कर्नल टॉड को किसी से सूचना मिली होगी कि पाटण के भण्डार में ऐसा एक प्राचीन ग्रन्थ है, जिसमें गुजरात के इतिहास का सविस्तर वर्णन है । टॉड इसका उल्लेख बारम्बार 'वंसराज चरित्र' के नाम से करता है । 'वंसराज', यह नाम 'वनराज' नाम का भ्रष्ट उच्चारण है, जो टॉड ने किसी भाट या चारण के मुख से सुनकर याद कर लिया होगा । वनराज चावड़ा था, जिसने गुजरात के प्रसिद्ध नगर अणहिल्लवाड़ अथवा ग्रणहिल्लपुर - पत्तन (पाटण) की स्थापना की थी । वनराज के जोवनवृत्त - विषयक मुख्य कथा, जो बहुत विश्रुत है, मेरुतुङ्गसूरि नामक जैन विद्वान् ने अपने 'प्रबन्ध - चिन्तामणि' नामक महत्त्व के ग्रन्थ में सब से पहले लिखी है । इस ग्रन्थ में अणहिल्लपुर के राजानों की राज्यस्थिति और कालक्रमसूचक प्रमित संवत्सरों आदि का उल्लेख किया है जो इतिहास के ग्रन्यान्य प्रमाणों द्वारा प्राय: पूर्णतः सम्मत है। कर्नल टॉड को यह ग्रन्थ नहीं मिला, नहीं तो वह इसके एक-एक कथन को अपनी रसभरी शैली से खूब सजाता । उसको इस विषय का जो ग्रन्थ मिला, वह कुमारपालप्रबन्ध या कुमारपाल चरित्र हो सकता है, जिसका आदि भाग प्रबन्धचिन्तामणि के आधार पर ही लिखा गया है । इसके अतिरिक्त 'वनराज - चरित्र' नाम का कोई ग्रन्थ नहीं है ।
इस प्रकार जो कुछ अस्त-व्यस्त साधन सामग्री उसे मिली, उसी के आधार पर उसने अपना वह महान् इतिहास - ग्रन्थ लिखा । इसलिए आज उपलब्ध सामग्री के आधार पर उसके तथ्यों का मूल्यांकन करना अथवा उसकी प्रामाणिकता की जाँच करना सर्वथा अर्थशून्य एवं प्रौचित्य - हीन होगा । अपने समय को दृष्टि से कर्नल टॉड महान् इतिहासज्ञ, और अत्युत्तम इतिहास लेखक था । उसने 'राजस्थान का इतिहास' लिख कर अपने को और राजस्थान को अमर कर दिया है। जब तक भारत में 'राजस्थान' का अस्तित्व रहेगा तब तक कर्नल टॉड का सुनाम और उसका 'राजस्थान का इतिहास' सदैव स्मरणीय और पठनीय रहेगा । राजस्थान का इतिहास लिखने की कर्नल टॉड को जो प्रेरणा हुई वह अवश्य ही कोई दिव्य प्रेरणा थी । इसी दिव्य प्रेरणा के
ञ ]
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org