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________________ सञ्चालकीय वक्तव्य [ झ शिलालेखों को वे ठीक-ठीक ही पढ़ लेते थे । उनको पास बिठा कर कर्नल टॉड उनसे ऐसी सब सामग्री को पढ़ने व समझने का सदैव प्रयत्न करता रहता था । पर उन यतिजो को भी एक हजार वर्ष से अधिक पुराने लेखों को लिपि का विशेष ज्ञान नहीं था, अत: वे भी इस प्रकार की विशेष प्राचीन सामग्री का परिस्फोट नहीं कर सकते थे । वह जब अणहिलवाड़ा-पाटण गया तब वहां के जैन- भण्डारों में से प्राचीन ऐतिहासिक साहित्य - सामग्री प्राप्त करने की उसे बहुत आशा थो और इसीलिए उसने अपने गुरु को वहां के जैन-भण्डार टटोल कर उनमें से वैसे साहित्य की खोज के लिए प्रेरित किया । यतिजी वहाँ के किसी एक प्रसिद्ध भण्डार को देखने के लिए गये भी, परन्तु उसमें उनको विशेष सफलता नहीं मिली । एक 'कुमारपाल - चरित्र' नाम की रचना के सिवाय और कोई रचना उनको उपलब्ध न हो सकी । यह जरा आश्चर्य लगने जैसी ही बात है, क्योंकि पाटण के भण्डार अपनी साहित्य-निधि के लिए सुप्रसिद्ध रहे हैं। प्रभावकचरित्र, प्रबन्धचिन्तामरिण, प्रबन्धकोष, कुमारपाल चरित्र वस्तुपाल - चरित्र, विमलप्रबंध आदि कई महत्त्व के गुजरात राजस्थान के इतिहास विषयक ग्रन्थ पाटण के भण्डारों में ही सुरक्षित थे । परन्तु उनमें से कोई एक भी ग्रन्थ की प्राप्ति उनको नहीं हो सकी । इसका एक कारण तो यह हो सकता है कि इन ग्रन्थों के विषय में यति ज्ञानचन्द्रजी को ही कोई जानकारी नहीं होगी अथवा वहां के भण्डार वालों ने उनको कुछ भी सामग्री दिखाने से इन्कार कर दिया होगा । कुछ भी हो, टॉड को इस साहित्य का सर्वथा परिचय नहीं मिला, नहीं तो, इनमें उल्लिखित ऐतिह्य तथ्यों से वह वञ्चित नहीं रहता । " कर्नल टॉड के 'राजस्थान का इतिहास' तथा 'पश्चिमी भारत की यात्रा' ग्रन्थों के प्रसिद्ध होने के बाद कोई २५-३० वर्ष के भीतर ही अलेक्जेण्डर किन लॉक फार्बस ने, 'रासमाला' के नाम से अलंकृत राजस्थान के इतिहास के अनुकरण-स्वरूप और उसी प्रकार के साधनों का वैसा ही उपयोग कर, गुजरात का इतिहास लिखा, जिसमें उसने गुजरात - राजस्थान के इतिहास से संबद्ध उक्त प्रकार के कई प्राचीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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