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________________ प्रकरण - ४; सूर्यपूजा [ ५५ (Tyre ) के मल्लाह जरूसलम के बादशाह के जलयान वाहक थे उससे भी बहुत पहले, इस देश का लाल समुद्र के तट, मिस्र और फिलस्तीन के देशों से यातायात संबंध रहा होगा। बाल ( Bal) और पीतल का बछड़ा, जिनका 'महीने की पन्द्रहवीं तारीख' को विशेष पूजन होता है वे भारत के बालेश्वर और नन्दी मिस्र के ऑसिरिस' Osiris और मुविस Muvis के अतिरिक्त और क्या हो सकते हैं, जिनकी पूजा-तिथि काली अमावस है जो महिने का पन्द्रहवाँ दिन भी है और उस दिन सूर्य की किरणें चन्द्रमा के मुख को प्रकाशित भी नहीं करती हैं । अतः बालपुर अथवा बाल का नगर वैसा ही है जैसे सीरिया का बॅलबॅक ( Balbec ) अथवा हॅलिप्रॉपोलिस' (Heliopolis ) । नाम, रीति-रिवाज़ और चिह्नों की समानता ये सब एक ही सार्वलौकिक समान धर्म को सूचित करते हैं अर्थात् सूर्य का पूजन और उसका आदर्श बैल ये सब उपजाऊपन और उपज के प्रतीक हैं । इस बात की खोज करना तो व्यर्थ होगा कि सब जगह फैली हुई मूर्ति-पूजा की उत्पत्ति कहाँ हुई— यूफाटिस (Euphrates ), ऑक्सस ( Oxus ) अथवा गङ्गा के मैदानों में सिनाइ ( Sinai ) पहाड़ वाले प्रायद्वीप' अथवा सौर श्रीर लाल-समुद्र पर एक जहाजी बेड़ा सहायता के लिए भेजे थे । सम्भवत: फोनिसियन लिपि का प्राचीनतम लेख हिरम के एक कांस्य पात्र पर मिलता है । इस लेख के अक्षर मिस्र की चित्र-लिपि और बॅबीलॉन की उच्चारण- प्रधान लिपि से भिन्न हैं । A Brief Survey of Human History-S.R. Sharma, 1938; p. 17. " मिस्र का प्राचीन सुख-समृद्धि का देवता । बाद में मृतकों के न्यायकर्ता के रूप में इसकी पूजा होने लगी थी। इसके विषय में अन्य भी कितनी ही पौराणिक गाथाएँ प्रचलित थीं। इसकी मूर्तियाँ तुर्रेदार मुकुट पहने हुए बनाई जाती थीं । — Enc. of R&E- Hastings, Vol. V; p. 244. २ Mnevis - मिस्र का वृषभाकृति देवता । — N.S.E ; p. 960. 3 मिस्र का प्राचीन नगर जो आजकल कैरो ( Cairo) का उपप्रान्त मतोरिया (Matariya) कहलाता है । यह बाज पक्षी के से सर वाले 'रा' ( Ra ) नामक सूर्यदेव के पूजा-स्थान के रूप में प्रसिद्ध था । यहाँ के विद्वान् पण्डों से आकृष्ट होकर प्लेटो एवं अन्य बड़े-बड़े दार्शनिकों ने भी यहाँ की यात्रा की थी। बारहवें राजवंश के सेन्युस्र ेट प्रथम ( Senusret 1 ) द्वारा स्थापित एक ६६ फीट ऊँचा स्तम्भ यहाँ अब तक खड़ा है । -N.S.E.; p. 627. ४ पश्चिमी एशिया की महानदी । " सिनाई - लाल समुद्र के ऊपर स्वेज श्रौर अकाबा की खाड़ियों के बीच का मिस्र का प्रायद्वीय | बाइबिल में सिनाई पर्वत ( Mount Sinai) को उक्त प्रायद्वीप के दक्षिण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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