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________________ प्रकरण : ४; तेज गर्मी की मात्रा के विभिन्न प्रभाव [ ५७ पहाड़ी लोगों के प्राधी रात में होने वाले हमलों से सजग रहने वाले पिराई के राजपूतों ने अपने किसो उत्सव के दिन नित्य-प्रति की सावधानी नहीं बरती, यद्यपि उनकी तलवारें भी 'मीणों का खून पी चुकी थीं और कुछ ही समय पहले वे मेवास पर अचानक आक्रमण कर, उनके गाँवों को जला कर, अटवण के मुखिया को माता को बन्दी बना कर ले गए थे और उसे जोधपुर के सीमावर्ती फौजी पड़ाव में रख दिया था। इस बन्दिनी ने, या तो अपने सम्बन्धियों से कोई गुप्त सूचना पाकर अथवा अपनी बन्दी-दशा से दुखी होकर, यह निश्चय कर लिया कि वह मीणों द्वारा बदला लेने में अड़चन न बनेगी अतः राजपूतों को चौकसी से दूर कर उसने एक जहर की खुराक द्वारा अपने को मुक्त कर लिया । इसी बीच में, शत्रु के लौटते ही, उसके पुत्र ने अपने धनुषधारियों के साथ सब से पहले कोलूर की पहाड़ी पर जाकर अपने माचल और राधवा (Radhva) के भाई-बन्धुनों को एकत्रित किया। ऐसे हमलों के लिए एकत्र होने तथा शकुन लेने के लिए इन लोगों का यही संकेत-स्थल है । शकुन अनुकूल हुआ और 'तीर निशाने पर लगा।' काम पूरा करने के लिए अभी रात बहुत बाकी थी इसलिए पिराई का उत्सव समाप्त होने के पहले ही वे निकल पड़े । धावा सफल हुआ और ऊटवण की माता के नाम पर छियालीस राजपूतों का बलिदान कर दिया गया। आज सुबह १० बजे जब मैं अपने डेरे पर पहुँचा तब थर्मामीटर ६६ पर था; दो बजे ( डेरे में ही) यह १०८° पर पहुँच गया; शामको ५ बजे बादल घिर आये और तापमान ८८ हो गया तथा ७ बजे ८६' रह गया। उधर बॅरॉमोटर इन्हीं समयों पर क्रमशः २८°-७७, २८-०७३, २८°-६५ और २८०-७० बतला रहा था। छाया में १०८° पर ही थर्मामीटर की सबसे ऊँची माप यी जो मैंने किञ्चित् दैनिक परिवर्तन के साथ अब तक पढ़ पाई थी; यद्यपि तापमान की समानता के कारण मौसम में भी वैसी ही समानता रहो और जानवरों का नियमित घूमना फिरना बना रहा फिर भी गरमी की अधिकता का असर मुझ पर कम नहीं पड़ा । जब मैं सामने फैले हुए मैदान की तरफ देखता तो मुझे सूखी रेत में से आग की बदरंग लपटें निकलती हुई दिखाई देती, तिपाई पर लटकते हए बॅरॉमीटरों को जब मैं ठीक करता तब उनके पीतल लगे हए हिस्से को छूने में बड़ा कष्ट होता । यद्यपि इस दर्जे की गरमी 'ठंडी जलवायु के रहने वालों' और 'ठंडे खून वालों के लिए असह्य है, फिर भी डेरे से बाहर की हवा जो २५ अधिक गरम थी असहनीय नहीं थी। मैं भारतवर्ष में मरुस्थल के किनारे बिताए हुए अत्यधिक गरमी के दिनों की अपेक्षा इङ्गलिस्तान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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