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________________ - पश्चिमी भारत की यात्रा ये संबंध विच्छिन्न हो गए और अब प्रताप के ये बालक जोधपुर के अधीन हैं। परन्तु इस नवीन शक्ति के प्रति अपना प्राभार प्रदर्शित करते हुए भी यदि इनसे यह पूछा जाय कि उनकी 'पान' किस पर है तो यह बात तुरंत ही विदित हो जायगी कि राजपूतों की निर्णय-बुद्धि किस प्रकार दो स्वामियों की सेवा में समन्वय कर सकती है । 'राजस्थान के वीर' का एकमात्र प्रतिनिधि मुझ से मिला था । वह यद्यपि ऊपर से मारवाड़ी पोशाक पहने हुए था, फिर भी हृदय और महान् व्यक्तित्व से उसके उज्ज्वल वंश-सम्बन्धी कोई भी चिह्न तिरोहित नहीं हुए थे। राजकुमार अर्थात् युवराज के अतिरिक्त मुझे बीजीपुर (विजय का नगर) के सरदार से अधिक सुन्दर राजवंशी कोई भी न मिला ; गौरव के लिए पर्याप्त लम्बाई, शरीर सुदृढ़ परन्तु भारी नहीं, गोरा भावपूर्व मुख-मण्डल तथा गौरवपूर्ण प्राचरण किसी भी दरबार में उसे उत्कृष्ट स्थान प्रदान कर सकते थे। हमने वर्तमान की अपेक्षा अतीत के विषय में अधिक बातें कीं और उसे इस बात से कोई अप्रसन्नता नहीं हुई कि मुझे उसकी अपेक्षा उसके (पूर्व) वंश के विषय में अधिक और अच्छी जानकारी थी। जून छठी; वीरगाँव : हमारा मार्ग अरावली के सामानान्तर चल रहा था परन्तु कभी-कभी वह इसकी निकली हुई पसलियों जैसी चट्टानों से छू जाता था जो सुबह-सुबह तब तक बहुत विकराल दिखाई पड़ती थीं जब तक कि सूर्य उनके ऊपर होकर यात्रा न कर लेता और उनके धूमिल परिधान पर सुनहरी रङ्ग बिखेर कर उनको रङ्गबिरङ्गा न बना देता। हमने एक छोटा सा नळा पार किया जो 'जनो नळा'' (Jooe Nullah) कहलाता है और सिरोही तथा गोड़वाड़ जिलों की सीमा पर होने के कारण जिसका राजनैतिक महत्त्व भी है। इसी प्रकार हमने सूकड़ी (Sukari) नदी भी पार की जो जालोर के किले के पास हो कर अपने रास्ते जाती हुई लूनी (या नमक की नदी) में गिर जाती है। जहाँ से मैंने इस नदी को पार किया उसके पास ही में एक छोटे से मन्दिर में गया जो बालपुर-शिव अर्थात् बालनगर के शिव का है। पौराणिक देव-प्रतिमा (लिंग) के सामने ही वाहन अथवा पीतल के बैल की प्रतिमा है, जो ऐसा प्रतीत होता है कि कभी इस सौर प्रायद्वीप में पूजन का प्रधान पात्र रहा था; निस्संदेह, इतिहास के प्रारम्भकाल में, जब हिरम (Hiram)२ और टायर १ जवाई नाला, जहाँ वर्तमान बंध बांधा गया है। २ Hiram I (हिरम, प्रथम) टायर का बादशाह और प्रबीबाल का पुत्र था। उसने इज़ राइल के बादशाह सुलेमान (Solomen) के पास बहुत से कारीगर, इमारती सामान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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