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________________ पश्चिमी भारत की यात्रा भी है जिसका संक्षिप्त सैरिया (Saria) है। इन लोगों के बहुत पुरानी तिथि के शिलालेख मिले हैं जो इस बात के द्योतक हैं कि वे भारतवर्ष की बहुत पुरानी जातियों में से हैं । इस बात को छानबीन करना अनावश्यक है कि यह पतित जाति (सैरिया) उन्हीं लोगों की अवैध सन्तान हैं या वया ? अस्प अथवा अश्व जाति निश्चित रूप से इण्डो-सीथिक (Indo-Scythic) मूल की है; क्योंकि 'अस्प' शब्द फारसी में और 'अश्व' शब्द संस्कृत में घोड़े के लिए प्रयुक्त होता है और यदि सैरिया लोग उन्हीं की अवैध सन्तान हों तो उनके रीति-रिवाजों में घोड़े के प्रयोग का यही कारण हो सकता है । मैंने मध्य एशिया की प्राचीन जातियों में चौपायों के आधार पर नाम रखने के रिवाज पर अन्यत्र प्रकाश डाला है। इस प्रकार हमें अस्प या घोड़े के अतिरिवत ट्रांसोजाइना (Transoxiana)' के गेटी (Gatar) या जीतों (Jit) की विशाल शाखा (Noomris) या लोमड़ी तथा मुलतान और उत्तरी सिन्धु (Indus) के वराह या शूकर भी मिलते हैं। परन्तु पशुओं अथवा वनस्पतिसूचक उपसर्गों द्वारा परिवारों की भिन्नता का ज्ञान कराने की प्रणाली प्रायः सभी देशों में प्रचलित है और बहुत से नाम तो, जिनके प्रति उच्चारण की महत्ता एवं ऐतिहासिक संस्मरणों की दृष्टि से हम आदरभावना रखते हैं, बहुत ही साधारण एवं प्रायः किसी भद्दी सी तुच्छ घटना से जन्म लिए हुए हैं; जैसे शूरवीरता का द्योतक शब्द प्लाण्टाजेनेट 'Plantagenet' तुच्छ बुहारी से निकला हुआ है । इण्डस् (Indus) और प्रॉक्सस् (Oxus) की अश्व, लोमड़ी और शूकर जातियों के अतिरिक्त शशक (सीसोदिया अथवा अधिक सही रूप में सुस्सोदिया), कुश (घास) से कुछवाहा आदि नाम भी इसी प्रकार के हैं। मध्यभारत के पठार पर बसने वाले सैरियों का उद्गम कहीं से भी हो, परंतु उनमें वही नैतिक व भौतिक विशेष गुण मौजूद हैं जो भीलों में पाए जाते ' मध्य एरिया के आमू और सर दरिया के बीच का भूभाग। २ Anjou (एजू) के काउण्ट Geoffrey (ज्यॉफी) ने वीरता-सूचक Planta Genistae (बुहारी की तरह का तुर्रा) सर्व प्रथम अपने शिरस्त्राण में धारण करना प्रारम्भ किया था। वह जरूसलम के राजा Fulk (फुल्क) का पुत्र था। ज्यॉफी की सुन्दरता से आकर्षित होकर इंगलैण्ड के बादशाह हैनरी प्रथम ने अपनी विधवा पुत्री एम्प्रेस मॉड का विवाह उसके साथ कर दिया था। इन दोनों का पुत्र हेनरी द्वितीय था जो ११५४ ई० में गद्दी पर बैठा । वह अपने पिता के अलंकरण के कारण प्लाप्टाजैनट वंश का राजा कहलाया । यह पद ३०० वर्षों तक इंगलैण्ड के राजाओं की उपाधि बना रहा। -E. B. Vol. xix; p. I.75 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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