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________________ प्रकरण - ३, भोलघातक प्रासामी [ ४३ शरण-स्थान के विशेषाधिकारों के विषय में कोई ऐसा रिवाज पड़ गया है, जो कुछ जागीरों की स्वीकृति के नियमों का अंग भी है, उसीकी आड़ में अपराधी की पहुँच की घोषणा करने में राणा अथवा उनके सलाहकारों द्वारा इस सम्पूर्ण कृत्य की घृणा मेरे ही ऊपर थोपने का प्रयत्न किया गया। यद्यपि मैं उनकी परकार के पक्ष का समर्थन करता था परन्तु बटिश-प्रतिनिधि के चरित्र पर अनावश्यक रूप से ऐसा घणास्पद आरोप भी नहीं चाहता था इसलिए मैंने जवाब दे दिया कि जहां तक राणा को व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के संरक्षण का प्रश्न है उसमें मुझसे पूछताछ करने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती। दूसरे दिन तक मुझे कुछ खबर नहीं मिली जब कि खून का बदला खून से लिया जा चुका था जिसमें जङ्गलीपन व अनावश्यक कठोरता बरती गई । अपराधी को एक गड्ढे में सीधा खड़ा रख कर मिट्टी से पाट दिया गया, केवल उसका सिर धूप में खुला रक्खा गया और जब वह दिन भर अाशंका से घुल घुल कर मर चुका तब अन्त में हथौड़े से उसकी खोपड़ी के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए। कुछ ही वर्षों पहले, यदि ऐसी घटना होतो तो राणा अपमान सह कर रह जाते और सलूम्बर के राव से बहुत कम शक्तिशाली सरदार का भी सरना तोड़ कर शेर को उसकी माँद में जाकर ललकारने का विचार तक न करते । अस्तु, इस प्रकार बदला लेने के बाद, राणा ने मृतक भीलों के प्रतिनिधियों को बुलाया और उनको पगड़ियाँ (शिरोपाव) तथा चाँदी के कड़े प्रदान करके काबा जाति को प्रसन्न किया। उनकी स्वामिभक्ति प्राप्त करने में इस घटना ने एक सेनासंगठन से भी अधिक लाभप्रद कार्य किया। परन्तु दुर्भाग्य से वनपुत्रों के मित्र बहुत कम हैं और (सभ्य) समाज से बहिष्कृत होने के कारण उन्हें 'ईसाउ' (Esau) के पुत्रों के समान समझा जाता १ बाइबिल की गाथा के अनुसार ईसाउ (Esau) आइज़क (Isac) और रैबैका (Rebecca) का पुत्र और जैकब (Jacob) का बड़ा जोड़ला भाई था । जन्म के समय से ही इसके शरीर पर बहुत से बाल थे इसलिए इसको Esau कहने लगे। इसे शिकार का बहुत शौक था। एक बार यह कहीं लम्बा निकल गया और लौटते समय भूख और प्यास से व्याकुल हो गया। उस समय उसका छोटा जोड़ला भाई जैकब दस्तरखान पर बैठा अच्छे-अच्छे माल और मांस उड़ा रहा था। ईसाउ ने भी उसमें शामिल होने की इच्छा प्रकट की तब जैकब ने उसे इस शर्त पर भोजन करने दिया कि वह अपने बड़ेपन का हक छोड़ दे। ईसाउ को उस समय पेट-पूजा के अतिरिक्त और कुछ न सूझा और उसने अपने समस्त अधिकार जैकब के हक में छोड़ दिए। बाद में उसने दो विदेशी एवं विजातीय कनाटिश Canaatish (जिसे अब सीरिया पैलस्टाइन कहते हैं) स्त्रियों से विवाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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