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________________ [ १९ ध्यान देंगे। मैंने राव को तुरंत कह दिया कि राणा की आज्ञा का पालन करना उसका कर्तव्य एवं कृपापात्र बनने का एक मात्र साधन था । इसमें संदेह नहीं कि यह झगड़ा बहुत कठिन था और स्पष्ट था कि राव अपनी मृतवत्सा प्रिय पत्नी के संदेहों में साझीदार था । यद्यपि उसने मेरे कहने के अनुसार कार्य करना धन्यवादपूर्वक स्वीकार कर लिया था परंतु इसमें विलम्ब और बहानों का अंत नहीं था । एक बार बच्चे को माता निकाल रही थी तो दूसरी बार उसने कहा कि गरीबी के कारण वह अपनी स्त्री और बच्चे को राजधानी में नहीं ला सका क्योंकि वहाँ सगे-सम्बन्धियों से मिलने पर गोठ और भेंट देनी पड़ती है और उसके पास न नक़दी थी न उधार मिलता था । यद्यपि उसका कहना ठीक ही था परंतु महाराणा की इच्छा के सामने उसकी दलीलों में कोई मानने योग्य बात नहीं थी और उनकी प्राज्ञा का पालन करने में ही उसका भला था । मेरी दलील के निरे तथ्य को मानते हुए उसने कर्तव्य पालन की बात तो स्वीकार कर ली परंतु राणा द्वारा उसके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार उसे मान्य नहीं था । उसने कहा, 'यदि मैं इस बात पर दब जाऊँ तो मुझे अपने ही घर में गुलाम बन कर रहना पड़ेगा । मेरे निजी शत्रु तो मुझ से पीछा छुड़ाना चाहते हैं और उनकी इच्छा है कि मैं अपने पुत्र के रास्ते से हट जाऊँ तथा खानगी लेकर नाथद्वारे में जा पड़ ।' मैंने उसे विश्वास दिलाया कि यदि वह अपने स्वामी की इच्छानुसार कार्य करेगा तो ऐसा कभी नहीं होगा । अंत में सभी बातें तय हो गईं और कुछ ही दिनों बाद मुझे यह देख कर संतोष हुआ कि राव को कोठारिया का नया पट्टा मिल गया जिसमें जब्त किए हुए दोनों कस्बे भी शामिल थे। वह लड़का भी मुझ से मिला; उस समय तक आलस्य और अफ़ीम का उस पर कोई असर नहीं हुआ था और वह मेवाड़ी राजपूत का एक अच्छा खासा नमूना था । यदि इन दुर्गुणों से बच जाय तो मुझे प्राशा है कि कान्हराय का यह वंशज कभी अपने वंश को अवश्य ऊँचा करेगा | प्रकरण २; संमूर · अब इन प्रसंगों से विदा । गोगुंदा के भाला और कोठारिया के चौहान की हम काफी चर्चा कर चुके हैं। परमात्मा करे, उनकी सन्तानें उन अनेक महान् कार्यों के योग्य ( सिद्ध) हों जिनसे कि सभी अच्छे और बड़े देशों द्वारा उनकी प्रशंसा की पात्रता पुष्ट होती है । ३ री जून; सैमूर - यद्यपि हमारे चारों श्रोर ऊँची-ऊँची चोटियाँ खड़ी हैं परंतु यह अरावली के बोये जोते भाग का सब से ऊँचा स्थान है । दिन के दो बजे बैरॉमीटर २७°३८' और थर्मामीटर ८२° बतला रहे थे । सूर्यास्त के समय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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