SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ च] पश्चिमी भारत की यात्रा भूभाग का वह अपने समय में, एक अद्वितीय ज्ञाता बन गया था। वह बड़ा बुद्धिमान् सैनिक सरदार था और बहुत चतुर राजनीतिज्ञ श' और इससे भी अत्यधिक इतिहास का सूक्ष्म मर्मज्ञ और प्रत्युत्कट जिज्ञासु था। इन सब गुणों के कारण उसने अपने जीवन-लक्ष्य के सिद्धयर्थ जो विपुल साहित्य सामग्री संग्रहीत की थी उसको व्यवस्थित रूप में ग्रन्थस्थ कर प्रकट करना ही उसका सर्वोच्च ध्येय बन गया था। उसने तुरन्त इंग्लैण्ड पहुंच कर यह कार्य प्रारम्भ कर दिया। कोई ५-६ वर्ष तक कठिन परिश्रम करके उसने राजस्थान का विस्तृत इतिहास लिखकर पूरा किया। सन् १८२६ ई० में उसका पहला भाग प्रकाशित हुआ और उसके लगभग ढाई-तीन वर्ष पश्चात् सन् १८३२ ई० में दूसरा भाग प्रकट हुआ। 'राजस्थान का इतिहास' प्रकाशित हो जाने के बाद उसने पुनः अपनी उस अन्तिम यात्रा का विवरण लिखना शुरू किया जो उदयपुर से रवाना होकर बम्बई तक पहुंचने के मार्ग के रूप में की गई थी। इस यात्रा से सम्बन्धित स्थानों, तीर्थों, मन्दिरों, गढ़ों, शासकों आदि के विषय में जो कुछ उसने सुना, देखा व पढ़ा वह सब इस यात्राविवरण में संकलित किया। इस विवरण के लिखते समय उसका स्वास्थ्य भी खराब रहा और तदर्थ वह यूरोप के रोम आदि स्थानों में भ्रमरणार्थ गया। यात्रा-विवरण जैसे ही संपूर्ण हुआ वह लंदन पाया और वहां पर अपने प्रकाशक व्यापारी के साथ इस विवरण के प्रकाशन का प्रबन्ध कर ही रहा था कि अकस्मात उसको मगी रोग का सख्त दौरा हो आया और उसी से १८३५ ई० के नवम्बर मास में उसकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार कुल ५३ वर्ष की भर-मध्य आयु में पश्चिमी भारत की यात्रा का वह अद्भुत मर्मज्ञ यात्री, जिसने संसार के सम्मुख सर्व प्रथम इस प्रदेश के भव्य अतीत और पवित्र देवस्थानों का भावनापूर्ण वर्णनों द्वारा रहस्योद्घाटन किया था, संसार के उस पार की महायात्रा पर चल निकला, जहां से कभी कोई वापिस नहीं लौटा। उसकी मृत्यु के कोई ४ वर्ष बाद सन् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy