SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सञ्चालकीय वक्तव्य चलकर प्राबू, सिद्धपुर, अणहिलपुर-पाटण, बड़ौदा, भावनगर, पालीताना, जूनागढ़, द्वारका, सोमनाथ होता हुआ कच्छ गया और वहाँ से जहाज में बैठकर बम्बई पहुँचा । १८२३ ई० के फरवरी में वह भारत की भूमि के अन्तिम दर्शन करता हुआ बंबई से जहाज में सवार होकर इंग्लण्ड को रवाना हो गया। इस प्रकार वह कोई २२ वर्ष भारत में रहा । इन २२ वर्षों में, उस अंधकारमय युग में, उसने जो ऐतिह्य साधन-सामग्री एकत्रित करने का और उसका अध्ययन करने का अथक श्रम किया वह रोमांच पैदा करने वाला है। उसकी इस विषय की जिज्ञासा, पिपासा, उत्कंठा, उत्सुकता, अनन्यमनस्कता आदि सब अद्भुत प्रकार की लगन सूचित करते हैं । उदयपुर से बम्बई पहुंचने तक के रास्ते में उसने गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ देश के प्रायः सभी महत्व के एवं तीर्थभूत प्राचीन स्थानों की यात्रा की और उन-उन स्थानों के विषय में जो भो ऐतिहासिक तथ्य और प्रवाद उसके देखने, सुनने व पढ़ने में आये उन सब को वह लिखता गया। वह पहले-पहल इंग्लण्ड से कलकत्ता (बंगाल) में आया था। वहाँ से वह उत्तरप्रदेश में होता हुआ भारत के मध्यकेन्द्र दिल्ली में आया; वहां से फिर मध्य-भारत के सिन्धिया के दरबार में रहा । उस पद पर रहते हुए उसने प्राय: सारे मध्यप्रदेश के सभी महत्व के स्थानों और मार्गों का विशिष्ट सर्वेक्षण किया। इधर पश्चिम प्रदेश में सिन्ध तक का उसने विशिष्ट भौगोलिक ज्ञान प्राप्त किया । मध्यभारत से पा कर राजस्थान के हृदयभूत मेवाड़ की राजधानी उदयपुर में रहते हुए उसने सारे राजस्थान की पुनः समग्र जानकारी सञ्चित को । उदयपुर से जब उसने स्वदेश के लिये प्रस्थान किया तो फिर उसने बम्बई का रास्ता पकड़ा और उस रास्ते में आने वाले उक्त प्रकार से सभी स्थानों का अपने लक्ष्य की दृष्टि से यथाशक्य ज्ञान प्राप्त किया । इस प्रकार भारत के अपने २२-२३ वर्षों के निवास में, पूर्व में कलकत्ता से लेकर पश्चिम में बम्बई तक के बहत ही महत्व के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003433
Book TitlePaschimi Bharat ki Yatra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJames Taud, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratan Granthmala
Publication Year1996
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy