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प्रकरण २
उदयपुर से प्रस्थान; गोगुंदा के दर्रा में प्रवेश; प्रान्त को छबि; घुस्यार, कृष्ण का एकान्तवास; सेवकों की विवाई; जलवायु में सुधार; बरूनी दर्रा का मन्दिर; पहाड़ियों का भूगर्भ (शास्त्र); गोगुंदा; राजस्व, कृषि, गोगुंवा का सरदार; उदयपुर और गोगुंदा घरानों में वैवाहिक सबंध; राजपूताना में बेमेल सम्बन्धों का परिणाम; कोठारिया के राव; सैमूर ; अरावली की छवि और जलवायु, वनस्पति ; कृषि; पहाड़ी राजपूतों के चरित्र; गांवों के मुखिया; उनकी परम्परागत कथाएँ; पोशाक; निवास, बनास का उद्गम ; नदी का पाख्यान ; अरावली का पश्चिमी ढाल ; दर्रा की महिमा ; वनस्पति, फल-फूल ।
१८२२ ई० की पहली जून को मैंने सोसोदियों की राजधानी से विदा ली। प्रभात का सुहावना समय था। सुबह के पांच बजे भी तापमापक ६६० बतला रहा था और पिछले कुछ दिनों से बँगले का औसत वातक्रम प्रातः सायं २७०६०' (बैरोमीटर) था ।
घस्यार पहंचाने वाली घाटी के द्वार की ओर बढ़ते हुए जब हम लोग बायीं तरफ़ पहाड़ी के किनारे-किनारे चल रहे थे तो मैंने प्रत्येक परिचित स्थान की ओर दष्टि दौड़ाई । सामने ही ठीक दाहिने हाथ की तरफ घने पेड़ पत्तों के बीच में होकर गांव के मन्दिर का शिखर झाँक रहा था । बँगले के पास ही झरने पर बना हुआ वक्राकार पुल था; इस झरने के किनारे में बहुत सुबह घूमा करता था और हजारों मछलियां मेरे साथ-साथ चलती रहती थीं जो मेरी खाना डालने की प्रादत से अच्छी तरह परिचित हो गई थीं।' थोड़ी ही दूर आगे बेदला के सरदार (राव) के किले की बुर्जे दिखाई देती थीं जो खजूर के पेड़ों की घनी कुजों से घिरी हुई थीं; इसके आगे चट्टान की वह प्रसिद्ध दरार (घाटी) थी जो देलवाड़ा होकर मैदान में निकलती थी। इस घाटी में मैंने अट्ठारह वर्ष पहले एक युवक अधीनस्थ कर्मचारी की हैसियत से राजदूत
१ शायद कुछ लोगों को इस बात से पाश्चर्य हो परन्तु जो हिन्दुस्तान में रह चुके हैं वे जानते
हैं कि धार्मिक तालाबों में मछलियों को हाथ से खाना दिया जाता है। मैंने अन्यत्र लिखा है कि महानदी में, जिसका पाट तीन मोल चौड़ा है, जरा से उबले हुए चावलों के लिए मछलियाँ मीलों तक साथ-साथ चलती रहती हैं। घाटी में रहने वालों का मैं गुरु रहा हैं। मैंने यह भी लिखा है कि बरसात में पानी में हानिकारक घास डाल कर पानी को जहरीला बना दिया जाता है और ऊपर तैरती हुई मछलियों को हाथ से पकड़ लेते हैं अथवा छड़ी से मार लेते हैं। यह तरीका अमरीकियों (Robertson, Vol. ii, p. 113) और प्रीसिनियनों (Bruce, Vol. i) में भी प्रचलित है।
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