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________________ समाजवाद वहीं पर पल्लवित और विकसित हो सकता है, जहाँ के व्यक्ति में सामूहिक एवं सामाजिक भावना का उदय हो चुका हो । एक विद्वान् ने कहा है- समाजवाद दो ही स्थानों पर काम करता है- एक समाजवाद दो ही मधुमक्खियों के छत्ते में और दूसरे चींटियों के स्थानों पर काम बिल में । इसका अभिप्राय केवल इतना ही है करता है- एक कि मधुमक्खी और चींटी में व्यापक रूप में | । म मधुमक्खियों के छत्ते सामाजिक भावना का उदय हुआ है। वर्तमान मान में में और दो और दूसरे युग के तत्वदर्शी कार्ल मार्क्स ने अपने एक नीतियों के हित में ग्रन्थ में कहा है -“समाजवाद मनुष्य को विवशता के क्षेत्र से हटाकर उसे स्वाधीनता के राज्यों में ले जाना चाहता है ।" समाजवाद के सम्बन्ध में इस प्रकार के विभिन्न विचार है । फिर भी हमें यह सोचना है कि समाजवाद समाज को ऐसी क्या वस्तु प्रदान करता है, जिसके कारण वह आज के युग में प्रत्येक राष्ट्र के लिए अथवा धरती के अधिकांश राष्ट्रों के लिए आवश्यक बनता जा रहा है। महावीर का सर्वोदय : समाजवाद क्या है ? इस प्रश्न के उत्तर में कहा जाता है कि समाजवाद एक आदर्श है, समाजवाद एक दृष्टिकोण है और समाजवाद जीवन की एक प्रणाली है । आज के युग में और विशेषतः राजनीति में वह एक विश्वास है और है- एक जीवन्त जन-आन्दोलन । समाजवाद का राजनैतिक रूप, जैसा कि उसके पुरस्कर्ताओं ने प्रतिपादित किया है, यदि उसी रूप में वह समाज में स्थापित किया जाता है, तो वह समाज के लिए 277
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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