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________________ एक सुन्दर वरदान ही है, भीषण अभिशाप नहीं । समाजवाद क्या चाहता है ? इस प्रश्न के उत्तर में कहा जाता है कि समाजवाद, समाज की भूमि और समाज की सम्पत्ति पर समाज का ही आधिपत्य चाहता है । समाजवाद का ध्येय है- एक वर्ग-हीन समाज की स्थापना । वह वर्तमान समाज का समाजवाद में व्यक्ति संगठन इस प्रकार करना चाहता है कि वर्तमान की अपेक्षा समष्टि | में परस्पर विरोधी स्वार्थों वाले शोषक, शोषित की प्रधानता | तथा पीड़क और पीड़ित वर्गों का अन्त हो होती है। जाए । समाज, सहयोग और सह-अस्तित्व के 6 आधार पर संगठित व्यक्तियों का एक ऐसा सबका समान समूह बन जाए, जिसमें एक सदस्य की उन्नति उदय ही का अर्थ स्वभावतः दूसरे सदस्य की उन्नति समाजवाद है। हो और सब मिलकर सामूहिक रूप से परस्पर उन्नति करते हुए जीवन व्यतीत कर सकें । समाजवाद में व्यक्ति की अपेक्षा समष्टि की प्रधानता होती है । इसमें सर्व-प्रकार के शोषण का अन्त हो जाता है और समाज की पूंजी, समाज के किसी भी वर्ग विशेष के हाथों में न रहकर सम्पूर्ण समाज की हो जाती है । सबका समान उदय ही समाजवाद है। मैं आपसे समाजवाद के सम्बन्ध में कुछ कह रहा था । इसका अर्थ आप यह मत समझिए कि मैं किसी राजनीतिक सिद्धान्त का प्रतिपादन आपके सामने कर रहा हूँ। आज का युग राजनीति का युग है, अतः प्रत्येक सिद्धान्त को राजनीतिक दृष्टि से सोचने और समझने का 278
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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