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________________ कई बार तो ऐसा भी होता है कि एक इच्छा की पूर्ति के प्रयत्न में अनेक नई इच्छाएँ और उत्पन्न हो जाती हैं और मन को ज्यादा परेशान करने लग जाती हैं । यह जीवन एक ऐसा महल है, जिसके हजारों दरवाजे हैं और हजारों ही कमरे हैं और वे सब बन्द पड़े हैं । यदि कोई व्यक्ति इस महल में जाने के लिए प्रयत्न करता है और पहला द्वार खोलकर अन्दर जाता है । तो दूसरा द्वार बन्द मिलता है । अथक परिश्रम करने के बाद जब वह दूसरा द्वार खोल पाता है, तथा आगे बढ़ता है, तो तीसरा द्वार बन्द मिलता है । इस प्रकार एक के बाद एक बन्द दरवाजों को खोलने में ही उसके जीवन के पचास-सौ वर्ष बीत जाते हैं। और एक दिन जब मौत सिर पर आकर चक्कर काटती है, तब तक भी द्वार बन्द ही नजर आते हैं । आखिर में महल के दरवाजे पूरे खोल भी नहीं पाता कि इंसान दुनियाँ से कूच कर जाता है । रामायण से सम्बन्धित एक लोक कथा है कि जब रावण मृत्यु शय्या पर पड़ा महाप्रयाण करने की तैयारी कर रहा था, उस समय उससे पूछा गया कि उसकी कोई इच्छा रह गई है, तो बताए, उसे पूरा किया जाए । इस पर उसने बताया कि 'मेरे जीवन के कुछ अरमान, कुछ सपने ऐसे अधूरे रह गए हैं, जो पंख-कटे पक्षी की तरह अब उड़ने में असमर्थ हैं । वे सिर्फ अन्दर में तड़पने के लिए हैं । अब वे किसी भी तरह पूरे नहीं हो सकते ।' कहा जाता है, बहुत आग्रह करने पर रावण ने बताया कि1. मेरी इच्छा थी कि अग्नि जले, परन्तु उससे कालिख और धुआँ ____ नहीं निकले । उसमें मलीनता नहीं, केवल प्रकाश, उज्ज्वलता हो । 2. सोना, जो देखने में बहुत सुन्दर लगता है, उसमें सुगन्ध हो । 3. लंका के चारों ओर जो खारे पानी का समुद्र लहरा रहा है, उसका जल मीठा बनाया जाए, ताकि सबके उपयोग में आ सके । 183
SR No.003430
Book TitleAnand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSugal and Damani Chennai
Publication Year2007
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size8 MB
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