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सांस्कृतिक अवलोकन
२१.
जो प्रश्न आज तक अनछूए रहे, उनका निराकरण वहाँ हो सकता है । इन्द्रभूति का मन भीतर-ही-भीतर आन्दोलित होने लगा और वे अपने पाँच सौ शिष्यों के साथ यज्ञ विधि को सम्पन्न करने से पूर्व ही भगवान महावीर के समवरशण महसेन वन की ओर बढ़ गये ।३९
३९. दिगम्बर आचार्य गुणचन्द्र के मंतव्यानुसार इन्द्रभूति गौतम भगवान महावीर के
समवशरण में स्वतः प्ररित होकर नहीं, किन्तु सौधर्मेन्द्र के द्वारा कि "तुम वहाँ जाकर अपने संशय का निराकरण करो" इस प्रकार प्ररणा करके लाये जाते हैं"दृष्ट्वाकेनाप्युपायेन समानीयान्तिकं विभोः,"
-महा० उत्तर ४७१३५९
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