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परिसंवाद
विपाक, रायपसेणी आदि आगमों में इतने विविध विषयक प्रश्न हैं कि उनकी विस्तृत सूची तैयार की जाये तो संभवतः एक स्वतंत्र ग्रन्थ का निर्माण हो जाये । मेरे मन में यह भी परिकल्पना है कि आगमों में जहाँ जहाँ भी गौतम के नाम से प्रश्नोत्तर आये हैं उनकी एक सूची और साथ ही ससंदर्भ एक स्वतंत्र ग्रंथ तैयार किया जाये। इस लघु पुस्तक में यह संभव नहीं है। फिर भी संक्षेप में गौतम के प्रश्नों को चार वर्गों में बाँटा जा सकता है
१. अध्यात्म विषयक २. कर्म-फल विषयक ३. लोक विषयक ४. स्फुट विषयक
प्रथम वर्ग में वे प्रश्न गिने जा सकते हैं जिनमें गौतम ने भगवान से आत्मा उसकी स्थिति, शाश्वत-अशाश्वत१२ जीव, सामायिक कर्म, कषाय, लेश्या५ ज्ञान का फल, मोक्ष, सिद्ध स्वरूप आदि विषयों पर प्रश्न किये हैं । इनमें वे संवाद भी सम्मिलित किये जा सकते हैं जो गौतम ने अपने अन्य विशिष्ट जिज्ञासुओं एवं साधकों के साथ किये हैं, जैसे उदक पेढाल ८, केशीकुमार श्रमण आदि ।
द्वितीय वर्ग में उन प्रश्नों का समावेश किया जा सकता है, जो किसी व्यक्ति विशेष को सुखी देखकर उसके पूर्व जन्मोपाजित शुभ कार्यों के विषय में पूछना। जैसेसुबाहु कुमार, मृगापुत्र २० आदि । तथा किसी को ऋद्धि समृद्धि देखकर उसके पूर्व जीवन के विषय में पूछना, जैसे—सूर्याभदेव के पूर्व जीव प्रदेशी राजा का वर्णन ।
११. ज्ञाता सूत्र १२. भगवती १३. भगवती १४. प्रज्ञापना
प्रज्ञापना १६. भगवती १७. औपपातिक (सिद्ध वर्णन) १८. सूत्र कृतांग १९. उत्तराध्ययन २०. विपाक सूत्र २१. रायपसेणी सूत्र
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