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इन्द्रभूति गौतम
जानने की श्रद्धा-इच्छा पैदा हुई, संशय हुआ, कौतुहल हुआ, और वे उस ओर आगे बढ़े। इससे स्पष्ट परिलक्षित होता है कि गौतम की वृत्ति में मूलघटक वे ही तत्व थे जो संपूर्ण दर्शन शास्त्र की उत्पत्ति की कहानी के मूल घटक रहे हैं।
दर्शन शास्त्र के इतिहास में तीन दर्शन मुख्य माने गये हैं । यूनानी दर्शन, पश्चिमी दर्शन एवं भारतीय दर्शन । यूनानी दर्शन का प्रवर्तक ओरिस्टोटल माना जाता है, उसका कथन है—'दर्शन का जन्म आश्चर्य से हुआ। इसी बात को प्लेटो ने उद्धृत किया है। पश्चिम के प्रमुख दार्शनिक डेकार्ट, कांट, हेगल आदि ने दर्शन शास्त्र का उद्भावक तत्व 'संशय' माना है। भारतीय दर्शन का जन्म 'जिज्ञासा' से हुआ यह अनेक दर्शनों के प्रथम दर्शन सूत्रों से ही स्पष्ट हो जाता है। उपनिषदों में तो इस प्रकार की अनेक कथाएँ संग्रहित हैं जिनके मूल में यही जिज्ञासा तत्व मुखरित हो रहा है। नारद सनत्कुमार के पास आकर यही प्रार्थना करते हैं-"अधीहि भगवन् !" मुझे सिखाइये, आत्मा क्या है यह बताइए । कठोपनिषद् का यम एवं नचिकेता का संवाद तो दर्शन शास्त्र का महत्वपूर्ण संवाद माना जाता है । बालक नचिकेता यम के द्वार पर पहुँच कर जब कहता है-"जिसके विषय में सब मनुष्य विचिकित्सा कर रहे हैं वह तत्व क्या है ? मुझे बताइये?" यम उसे ऐश्वर्य सुख, भोग का प्रलोभन देकर इस प्रश्न को टालना चाहता है, पर अटल जिज्ञासु बालक नचिकेता दृढ़ता के साथ कहता है- "मुझे यह धन वैभव कुछ नहीं चाहिए, मुझे तो मेरे प्रश्न का समाधान (वर जो मांगा है) चाहिए, बस मुझे यही यथेष्ट है ।"६
___ दर्शन शास्त्र के इतिहास के लेखकों ने अर्हत् महावीर एवं तथागत बुद्ध की प्रव्रज्या एवं कठोर साधना का मूल भी इसी आत्मजिज्ञासा में देखा है । के अहमंसि ?
२. फिलॉसफी बिगिंस इन वंडर (Philosophy begins in wander) ३. दर्शन का प्रयोजन पृष्ठ २९ (डा० भगवानदास) ४. (क) अथातो धर्मजिज्ञासा-वैशेषिक दर्शन १
(ख) दुःख त्रयाभिघाताज् जिज्ञासा-सांख्यकारिका १ (ईश्वरकृष्ण) (ग) अथातो धर्म जिज्ञासा-मीसांसा सूत्र १ (जैमिनी)
(घ) अथातो ब्रह्म जिज्ञासा-ब्रह्मसूत्र १११ ५. . छांदोग्य उपनिषद् अ० ७ ६. वरस्तु मे वरणीय एव-कठोपनिषद् ।
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