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व्यक्तित्व दर्शन
इस प्रकार आगम साहित्य में गौतम की जिज्ञासाओं की अनेक घटनाएँ विभिन्न प्रसंगों के साथ जुड़ी हुई हैं । गौतम के प्रश्नों की उत्थानिका में भी किसी न किसी सूक्ष्म घटना का उल्लेख आता है । गौतम देखते हैं, सुनते हैं और फिर तत्काल भगवान के पास जाकर उसकी जानकारी प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं ।१५
भारतीय वाङमय में गौतम की जोड़ी का जिज्ञासा प्रधान व्यक्तित्व मिलना कठिन ही नहीं, प्रायः असम्भव है । गौतम के प्रश्नों और जिज्ञासाओं ने तीर्थंकर महावीर के चिन्तन एवं दर्शन को वाङमय का रूप दिया है। गम्भीर से गम्भीर एवं सरल से सरल सभी प्रकार के प्रश्न गौतम ने उपस्थित किए हैं, उनके मूल तक पहुंचे हैं और उन पर भगवान महावीर के समीचीन समाधान प्राप्त कर जैन साहित्य के अध्येता के लिए एक व्यवस्थित मार्ग प्रस्तुत किया है । जैनसाहित्य गौतम का चिरऋणी रहेगा, बल्कि गौतम के नाम से वह सदा प्रकाशमान भी रहेगा । जिस प्रकार कि संस्कृत साहित्य कालिदास के नाम से, हिन्दी साहित्य तुलसी एवं सूर के नाम से, अंग्रेजी साहित्य शेक्सपियर के नाम से और रूसी साहित्य गोर्की के नाम से आज भी अपने को गौरवान्वित समझते हैं, वही नहीं, बल्कि उससे भी अधिक गौरव जैन श्रत साहित्य को गणधर इन्द्र भूति गौतम के नाम से हैं।
बौद्ध पिटकों में अनेक स्थानों पर आनन्द द्वारा प्रश्न उपस्थित किए गए हैं और तथागत ने उनका समाधान किया है। पर परिमाण एवं विषय वस्तु की दृष्टि से वे बहुत ही अल्प है, गौतम-महावीर के प्रश्नों की तुलना में बहुत ही नगण्य ! अन्य ग्रन्थों में तो इस प्रकार की शैली का दर्शन भी अत्यल्प मात्रा में होता है।
गौतम का जीवन दर्शन
गणधर गौतम के छद्मस्थ जीवन की एतद् प्रकार की सैंकड़ों घटनाएँ जैन आगमों में संगुम्फित हुई हैं जिनमें उनके बहुमुखी सार्वभौमिक व्यक्तित्व के अनेक आन्तरिक गुण उजागर हुए हैं। उनके जीवन में ज्ञान और क्रिया के दोनों पक्ष सुदृढ़ एवं सबल रहे हैं, दोनों की समुज्ज्वलता चरम कोटि की है । ज्ञान के साथ विनम्रता,
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देखिए पुद्गल परिव्राजक की चर्चा, तुगिया नगरी के लोगों का प्रश्नोत्तर
__ आदि-भगवती ११।१२, २१५
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