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इन लघु अमर क्षणिकाओं को मुद्रित करने का एकमात्र उद्देश्य यही है कि आज का मानव अवसाद एवं चिन्ता से गस्त है । कदम-कदम पर भय तथा अराजकता का साम्राज्य है । मन मायूस है । चेहरे से प्रसन्नता की रेखाएँ विलीन है। निराशा के घने कोहरे से व्यक्ति व्यथित है।
ऐसी स्थिति में इन लघु अमर क्षणिकाओं का मनोयोग पूर्वक जो भी पाठक अध्ययन करेगा तथा इनमें निहित भावों पर चिन्तन-मनन करेगा तो अवश्य ही उसके जीवन में सुख-शान्ति की बहार आयेगी । आशा की एक किरण प्रस्फुटित होगी । कर्त्तव्य के साथ कर्म करने की एक ललक जगेगी । सकारात्मक सोच बनेगी । दानवता का स्थान मानवता ग्रहण करेगी । अदम्य साहस एवं नव जागरण का सूर्य उसके जीवन में उदित होगा - ऐसा मेरा विश्वास है।
वीरायतन के महामंत्री श्रीयुत टी. आर. डागा एवं वीरायतन के पदाधिकारियों ने इस पुस्तिका के प्रकाशन में प्रेरणा एवं स्वीकृति प्रदान की है, तदर्थ मैं सभी का आभारी हूँ।
साथ ही साथ प्रकाशन की प्रेरणा के लिये अपने अभिन्न सहभागी श्री जी.एन. दामाणी, श्री आर.एन. दामाणी, श्री प्रवीणभाई छेड़ा, श्री किशोर अजमेरा का भी तहेदिल से अभिनन्दन करता हूँ ।
मैं अपनी चिर सहयोगिनी, धर्म सहायिका श्रीमती चन्द्राबाई एवं मेरे सुपुत्र चि. प्रसन्नचन्द एवं विनोदकुमार की अनुशंसा करता हूँ कि जिनकी सेवा-भावना से यह पुस्तिका मैं प्रस्तुत कर पाया ।
विश्वास है कि पाठक-गण इस पुस्तिका के एक-एक सूक्त एवं कविता के माध्यम से अपने जीवन को कृतार्थ करेंगे ।
- एन. सुगालचन्द सिंघवी, चेन्नई
- turhoo
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