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श्री बच्चूमल जी सुराना के ४ सुपुत्र हुए - क्रमशः श्री जालमसिंह जी, श्री राजेन्द्रसिंह जी, श्री कुंवरलाल जी, श्री अमरसिंह जी । चारों हो भाइयों का विशाल परिवार आज व्यापार, उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों में अपनी अच्छी प्रतिष्ठा और सन्मान के साथ प्रमुखता रखता है। आगरा के सामाजिक क्षेत्र में भी सुराना परिवार का सराहनीय योगदान रहता है ।
श्री कुंवरलाल जी एक कर्तव्यशील सेवाभावी, गहरी सूझबूझ वाले सज्जन हैं । आप पहले स्टेट बैंक ऑफ इन्डिया में मैनेजर रहे, फिर वहाँ से व्यापार में प्रवेश किया तो कुछ ही समय में सफलता के द्वार खुल गये और चतुर्मुखी उन्नति करते गये ।
ओसवाल एम्पोरियम नाम से आपका प्रतिष्ठान देश-विदेश में प्रसिद्ध है ।
आपकी धर्मपत्नी श्रीमती विमलादेवी सुराना बहुत ही सरल स्वभाव की धर्मशीला हैं । साथ ही तपस्याएँ भी करती रहती हैं । श्रीमती विमलादेवी आगरा निवासी श्री धर्मोचन्द जी बुरड की सुपुत्री हैं । श्री विमलादेवी की माताजी चम्पाजी ने पंजाब की महासती लज्जावती जी के पास दीक्षा ग्रहण की जो आजकल आगरा में ही विराजमान हैं।
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कंवरलाल जी का परिवार धार्मिक संस्कारों वाला, उदार और उद्योगशील परिवार है ।
आपके दो सुपुत्र तथा दो सुपुत्रियाँ हैं
१. पुत्र - श्री अशोककुमार पुत्रवधु सौ० उषारानी
२. पुत्र - श्री दिलीपकुमार पुत्रवधु सो० सुनीतारानी
पुत्रियाँ - स्नेह एवं मञ्जु ।
श्री कंवरलाल जी, गुरुदेव श्री अमरमुनि जी के प्रति अतोव श्रद्धाशोल हैं । प्रतिवर्ष वोरायतन दर्शन हेतु जाते रहते हैं तथा वहाँ के निर्माण कार्यों में भी उदारतापूर्वक सहयोग करते हैं। आगरा में पूज्य पृथ्वोचन्द जी महाराज की समाधि के निर्माण में भी आपका योगदान रहा है ।
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