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६............... तत्त्वार्थ-सूत्र ..... बहुबहुविधक्षिप्रानिश्रितासंदिग्धधुवाणां सेतराणाम् ॥१६। अर्थस्य ॥१७॥ व्यञ्जनस्यावग्रहः ॥१८॥ न चक्षुरनिन्द्रियाभ्याम् ॥१९॥ श्रुतं मतिपूर्वं द्वयनेकद्वादशभेदम् ॥२०॥ द्विविधोऽवधिः॥२१॥ तत्र भवप्रत्ययो नारकदेवानाम् ।।२२॥ यथोक्तनिमित्तः षड्विकल्प: शेषाणाम्॥२३॥
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