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________________ पुरुष की शक्ति : ५५ करने को आने वाले लोगों से सुना-मैं यहां आया हूँ। उसने भी दर्शन और वन्दन का संकल्प किया। मार्ग में फुदकता चल रहा था, कि घोड़े के पैर के नीचे कुचलने से घायल हो गया और चलने की शक्ति न रहने से वहीं से उसने मुझ को भाव-वन्दन कर लिया। उसे अपनी आसक्ति पर बड़ा पश्चाताप था। पश्चाताप की आग में दोष जलकर भस्म हो जाते हैं । वह देह त्याग कर यह दर्दर देव बना है।" -ज्ञाता अ० १३/. सत्य असीम है ! यह कहानी उस युग की है, जब वनों में रहकर तापस घोर तपस्या किया करते थे। तापस तपस्वी तो होते ही थे, साथ ही विद्वान् भी होते थे। प्राचीन भारतीय साहित्य, तापसों तपस्याओं से भरा पड़ा है। ____ भगवान् महावीर के युग में अम्बड एक प्रसिद्ध तापस था, जिसे कहीं पर परिव्राजक कहा गया, और कहीं पर सन्यासी कहा गया है। अम्बड भगवान् महावीर की साधना से अत्यन्त प्रभावित था। वह भगवान के प्रति गहरी निष्ठा रखता था। सन्यासी के वेष में रहकर भी उसने भगवान महावीर से बारह व्रत अंगीकार किए थे। बह्मचर्य-ब्रत को वह दृढ़ता से पालता था, और अपने शिष्यों से भी पलवाता था। अम्बड के सात-सौ शिष्य थे, वे भी अपने गुरु जैसी ही साधना करते थ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003423
Book TitlePiyush Ghat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year
Total Pages202
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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