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नारी का मन : १६
देवकी अपने सुन्दर रथ में बैठकर भगवान के दर्शन को गई। भगवान ने कहा : “देवकी, तेरे मन में यह शंका है ? पर, देवकी यह शंका उचित नहीं है।" भगवान् ने आगे कहा : ___"भद्दिलपुर के नाग गाथा पति की पत्नी सुलसा मृत बन्ध्या थी। उसने हरिण गमेषी देव की भक्ति की थी। देव प्रसन्न हो गया। देवको, तुम और सुलसा एक साथ गर्भ को धारण करती थी और एक साथ पुत्रों को जन्म देती थीं। देव तुम्हारे पुत्रों को सुलसा के पास ले जाता और सुलसा के मत पुत्रों को तुम्हारे पास ले आता था। देवकी, जिन छहों भिक्षुओं को तुमने देखा है, वे सुलसा के नहीं, तुम्हारे ही अंगज पुत्र हैं। अतिमुक्त मुनि की वाणी मिथ्या नहीं है।" यह सुनकर देवको को अपार हर्ष और अत्यन्त उल्लास हुआ।
देवकी वहाँ से उठकर छहों भिक्षुओं के पास गई और वन्दन करके समीप बैठ गई। उन्हें देखकर देवकी के स्तनों से दूध की धारा फूट निकली। पुत्रों का वात्सल्य दुध बनकर फूट निकला। उसकी कंचुकी भीग गई। वह अपने को धन्य धन्य समझ रही थी।
--- अन्त कृ० वर्ग० ३ अ०./20
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