________________
सत्य- पक्ष
अत्याचारी दमन • चक्र के, सम्मुख गिरि · सम अड़े रहो । अन्तिम रक्त - बिन्दु तक अपने, सत्य • पक्ष पर खड़े रहो।
मृत्यु एक दिन आएगी ही, तन को मार गिराएगी। किन्तु सत्य, चिद् आत्मदेव को, छू न कभी भी पाएगी।
पवित्रता और वीरता तन धोने से क्या होना है, जब तक मन न धुले। सब - कुछ बदले इक पलभर में, जब अन्तर बदले। बाह्य शत्रु पर विजय प्राप्त कर, क्या उछले मचले ? वीर वही जो अन्तस्तल के, रिपुदल को कुचले ॥
सत्य - पक्ष :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org