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________________ जो है उसी का उपयोग करो जर्मन सेनापति रोमेल, अपने समय का एक विलक्षण प्रतिभाशाली वीर पुरुष था। गत महायुद्ध में वह अफ्रीका के रणक्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ रहा था। एक बार ऐसा हुआ कि रेगिस्तान में उसके पास की युद्ध - सामग्री समाप्त हो गई। और, उधर रात में सुसज्जित अंग्रेजों की सेना ने उसकी सेना पर अचानक आक्रमण कर दिया। रोमेल के संगी - साथी एकदम घबरा उठे । उन्होंने कहा- "हमारे पास कुछ तोपें तो हैं; परन्तु गोले नहीं हैं।" रोमेल ने धैर्य पूर्वक कहा-"गोले न सही, बालू तो है, उसी का उपयोग करो।" । रोमेल की आज्ञा होते ही जर्मन सैनिक तोपों में बालू भरकर बालू के टीलों पर दनादन दागने लगे। और, उसने टैंक और लोरियों को कुछ मीलों के घेरे में लगातार चक्कर लगाने की आज्ञा भी तुरन्त दे दी। परिणाम यह हुआ कि तोपों की गड़गड़ाहट सुन कर और अपरम्पार धूल उड़ती देखकर अंग्रेजों ने समझ लिया कि जर्मनी की विशाल सेना युद्ध के लिए आतुर हो कर दौड़ी आ रही है । वे वायुयानों से भी वास्तविकता की जाँच नहीं कर सके । क्योंकि सारा आकाश धूल से भरा था । आखिर, उन्हें मैदान छोड़ कर भागना ही पड़ा। इसे कहते हैं, समय की चातुरी। ३४. सागर के मोती: Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003422
Book TitleSagar ke Moti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherVeerayatan
Publication Year1991
Total Pages96
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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