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अतीत की कल्पना का आधार
कलकत्ता में अधिकतर मोटर - ड्राइवर सिक्ख हैं। एक वार वहाँ गुरु नानकदेव का जुलूस बाजारों से गुजर रहा था। किसी अंग्रेज ने देखा, तो उसने एक बंगाली से पूछा-- “यह उत्सव कैसा है, किसका है ?"
बंगाली ने जवाब दिया-"यह ड्राइवरों के मास्टर का जुलूस है। सुना है, वह मोटर चलाने में बड़ा होशियार था।"
जवाब देने वाले का क्या अपराध ? वह सिक्ख मोटर ड्राइवरों की अधिकता और उनके वर्तमान व्यवहार के परे कैसे जाने कि सिक्ख जाति में भी बड़े - बड़े त्यागी, तपस्वी, शूर-वीर, राजा - महाराजा हुए हैं, और हैं ? मोटर - ड्राइवर सिक्खों के वर्तमान व्यवहार ने गुरु नानकदेव को भी मोटर - ड्राइवर बना दिया ! अतीत की महत्ता को आंकने के लिए वर्तमान की महत्ता अतीव अपेक्षित है, इस सत्य-तथ्य को भूलिए नहीं।
बतीत की कल्पना का आधार ।
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