________________
गरीर । अथवा प्रधान पुद्गलों से बना शरीर । तीर्थङ्कर मादि का शरीर प्रधान पुद्गलों से बनता है । शेष भर्वसाधारण जीवों का शरीर स्थूल-असार पुद्गलों से बना होता है । __वैक्रियिक शरीर—जिस शरीर से विविध और विशिष्ट प्रकार की क्रियायें होती हैं । जैसे एक रूप से अनेक रूप करना । अणु से विराट होना । दृश्य से अदृश्य हो जाना आदि ।
आहारक शरीर-आहारक लब्धि से बनाया गया शरीर । जीवदया, तीर्थङ्कर की ऋद्धि का दर्शन तथा संशय निवारण आदि विशेष प्रयोजन से चतुर्दश पूर्वधर मुनि अपनी आहारक लब्धि से जो शरीर बनाते हैं, वह आहारक शरीर होता है । - तैजस शरीर-तैजस पुद्गलों से बना हुआ शरीर । शरीर में विद्यमान उष्णता से इस शरीर का अस्तित्व सिद्ध होता है । यह शरीर आहार का पाचन करता है । तपोविशेष से प्राप्त तैजस लब्धि का कारण भी यही शरीर है।
कार्मण शरीर-कार्मण वर्गणाओं से बना शरीर । जीव के प्रदेशों के साथ लगे हुए आठ प्रकार के कर्म पुद्गलों के समूह को कार्मण शरीर कहते हैं । यह शरीर ही सब शरीरों का बीज है।
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org