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रघुबरजसप्रकास
[ २७ संख्या स्थान विपरीतका प्रकारांतरकै ४ । सम ऊबरे तो गुरु करणा, बिसम ऊबरे तो गुरु करनै लघु करणा। सुधका १ । सुध स्थान विपरोतका प्रकारांतर दोयांईके २ । हर संख्या विपरीतके ३ । हर संख्या स्थान विपरीतके ४ । प्रां च्यार प्रस्तांरांके ऊबरे, सौ सरवे पाछै लघु करणा ।
इति प्रस्तार सुगम विध । मात्रा वरण उदिस्ट नस्ट सुगम लछण ।
दूहा सुद्ध बिहु उदिस्ट नस्ट, सुद्धा क्रमसू अंक । बे संख्या बिपरीतरै, निज सुद्ध अंक निसंक ॥ ८६ बे सुद्ध थळ विपरीतरै, बि थळ संख्य विपरीत । आं चहुनिस्ट उदिस्ट सिर, अंक उलट क्रम दीत ॥ ६० क्रम संख्या विपरीत बे, बि क्रम बि थळ बिपरीत। पूछ ल यक घट नस्ट गुरु, वध उदिस्ट कहीत ॥ ६१ सुद्ध बे सुद्ध थळ उलट बे, क्रम बी क्रम धर अंक। पूछ सेस घट नस्ट कर, वध उदिस्ट गुरु अंक ॥ ६२ इति रघुवरजसप्रकास ग्रंथे आढ़ा किसना त मात्रा वरण सोडस प्रस्तार उदिस्ट निरूपण संपूरण ।
अथ मेर लछण ।
मुण अमका प्रस्तार मझ, सरब गुरू केह ।
एक एक घट फिर अखौ, सब लघु घट लघु जेह ॥ ६३ ऊबरे-शेष रहते हैं। प्रां-इन । ८६. बिहुँ-दोनों। १०. बि-दो। संख्य-संख्या। सिर-ऊपर। दीत-दीजिये । ६१. वध-विधि। कहीत-कहते हैं। ६२. घट-घटाना। ६३. मुरण-कह । अमका-इसका। प्रखौ-कहो । जेह-जिस ।
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