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रघुवरजसप्रकास
वरण संख्या विपरीतकौ प्रकारांतर लछण ।
चौपई
धुर गुरु सीस प्रथम लघु धारौ, अग्र अरध सम पंत उचारौ । ऊबरे सौ पाछै गुरु देह, वरण प्रकार उलट थळ एह ॥ ७४
अथ वरण संख्या स्थान विपरीत कड़ौट फेर लछण । चौपई
अंत लघू तळ गुरु धरि हौ, उरध पंत सम अग्र हो I ऊबरे सौ पाछै लघु ऋण, संख्या वरण उलट थळ जांण ॥ ७५
अथ वरण संख्या विपरीत प्रकारांतर लछण । चौपई
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थिर गुरु अंत सीस लघु थाप, अग्र अरध समपंत माप । वचै स पाछै गुरु करिवेस, संख्या उलट प्रकार सु देस ॥ ७६ पुणिया आठ वरण प्रस्तार, वडा सुकव लीजियौ विचार ॥ ७७
इति प्रस्ट विधि वरण प्रस्तार संपूरण ।
७४. एह-यह ।
७५. एहौ - ऐसा । श्रछेहौ - अच्छा ।
७६. थाप - स्थापित कर । करिवेस - करिये । देस - दीजिये |
७७. पुणिया कहे ।
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