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रघुवरजसप्रकास
[ २३५ बंकनाळ समीर वासय , चक्रखट तत पंच भिद चय , सुचित मधुकर वसै संतत, जळज भ्रकुटी मझार । भूम रखेचर चाचरी भण , मुनीउन आ गोचरी मुण , निवह मुद्रा तपण नाहि, मीढ रेफ मकार । अधोमुख उध पाय आसण , धूम्रपान सदीव धारण , महा झै विध कठिण मानव, करौ लाख करोड़ । तप क्रिया व्रत होम तीरथ , अवर परबी दांन हिम अथ , निपट झै विध कदे नावै, जाप राघव जोड़ । तरुण गणिका नाम जै तर , पेख सवरी जात पांमर , बार अबखी देख बारण, पेख कीध पुकार । अजामेळ सरीख आधम , बाळ्मीक पुलिंद बेखम ,
'किसन' हेकण छिनक कीधौ, यतां नाम उधार ॥ १२७ १२७. बंकनाळ-योगियोंकी बोलचालमें सुषुम्ना नामक नाड़ीका एक नाम । समीर-हवा ।
चक्रखट (षटचक्रो-योगके शरीरस्थ छ चक्र । तत-तत्त्व । पंच-पांच । मधुकरभौंरा । संतत-सदैव, निरन्तर । जळज-कमल । मझार-मध्य । खेचर-खेचरी-मुद्रा । चरचरी (चर्चरी)-योगकी एक मुद्रा। मुनीउन (उनमुनी)-हठ योगकी एक मुद्रा। मुण-कह । मोढ-समान, बराबर । रेफ- र अक्षर । मकार-म अक्षर । अधोमुखऔंधा मुख । उध-ऊपर । पाय-चरण । सदीव-नित्य । हिम-स्वर्ण, सोना । कद-कभी। जाप-जप । जोड़-समान, बराबर। पांमर-नीच । बार-वेला, समय। अबखीकठिन । बारण-हाथी। कोध-की। सरीख-समान । प्राधम-नीच। पुलिद-एक प्राचीन असभ्य जाति । हेकण-एक । छिनक-क्षण, थोडा। कीधौ-किया। यतांइतने।
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