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गिरा प्रसाद भेद बुध
चारण जनम पाय सुध बूडा जे कर कर जस
बुध सारू
रघुवरजसप्रकास
गाथां,
बातां झूठ Laura I
तारणनह गावै ||
चूका, गिर बंबां, संमां ऊमर सारौ ।
[ २२६
गायौ सीताबर, जीता जिकै जमारौ ॥११४
दूहौ
सोळ प्रथम बीजी चवद, मगण यगण पछ दाख । सोळ चवद मत क्रम सुकव, भल सेलार सु भाख ॥। ११५
अरथ
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पैली तुक मात्रा सोळं । दूजी तुक मात्रा चवदै । तीजी तुक मात्रा सोळं । चौथी तुक मात्रा चवदै । पै'ली, तीजी तुकरे मोहरे मगण होय । दूजी चौथी तुकरै मोहरै गण हो । तुकांत मगण यगण होय । इं गीतरै सारा दूहां पै' ली तुक मात्रा सोळं । दूजी तुक मात्रा चवदै, ईं क्रम च्यार ही दूहां मात्रा होय सौ गीत नांम सेलार कहावै । लखपत पिंगळ मध्ये छंद सेलार छै, जिणरै तुक प्रथम प्रतमात्रा तेरै छै । यणरै पै' ली तुकमें मात्रा तीन वधी । दूजी तुकमें मात्रा एक वधी जींसूं गीत सेलार छै। पै' ली तीजी तुकरै अंत मगण होय । दूजी चौथी तुकरै अंत यगण अथवा दुगुरु होय ।
अथ सेलार गीत उदाहरण गीत
मह ईजत स्राव अमंपै रे, चढ सीम जिकां कुंण चंपे । कीनास भये नह कंपै रे, जे राघव दिन सोहै प्राथतदवारे रे, बद ईजल जे नर धन धन जमवारे रे, सीताचौ
राघव जपै ॥ व बारे । सांम संभारै ॥
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११४. गिरा - सरस्वती । प्रसाद - कृपा । बुध - पंडित | सुध - ध्यान । गिरतारण- रामचंद्र भगवान । बूडा-डूब गये । बूंबां-जोरकी प्रावाज । सूमां कृपणों । ऊमर - उम्र । सारौ - सब । जमारौ - जीवन ।
कंपै
११६. मह - महान । श्राव- श्रायु, उम्र । चं- भयभीत करे । कीनास - यमराज । डरे । जंप - स्मरण करे । सोहे - शोभा देता है । श्राथ-धन-दौलत । दवारे-द्वार पर । धन-धन-धन्य-धन्य । जमवारे जीवनमें। सीताचौ - सीताका । सांम - स्वामी, पति । संभार - स्मरण करते हैं 1
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