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रघुवरजसप्रकास
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मात्रा १० पछै दूजा सारा वहां मात्रा बीस, सत्रै, दस, बोस, सत्रै, दस ईं तरै तुकां होवै जी गीतको नांम चौटियाळ गीत कहीजै ।
ग्रथ चौटियाळ गीत उदाहरण गीत
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महाराज प्राजांनभुज रांम रघुवंसमण, राड़ रिम जूथ वनाड़ रोहै,
गढां गह गंजणा ।
बार निरधार आधार आधार आलम वणै, सरण साधार जिण विरद सोहै, भिड़े दळ भंजणा ||
जांनकीनाथ समराथ जाहर जगत चुरस धमचक रचरण वीरचाळा, से खेत वीरती | ताखड़ा जो आरोड़ दसरथतणा, कीजिये किसौ नूप जोड़ काळा, जग की || सूरकुळ मुकट घट नट जीह सुज, वयण मुख दाखिया अंक वेहा,
दया जन दक्खणा ।
८६. सत्रै - सतरह । ईं - इस । तरै- तरह, प्रकार । जीं - जिस ।
६०. प्राजांन- भुज-प्राजानुबाहु | रघुवंसमण - रघुवंशमरिण । राड़ - युद्ध | रिम-शत्रु | जूथयूथ, समूह । श्रवनाड़ - जबरदस्त, नहीं मुड़ने वाला । रोहे-ध्वंश करता है, संहार करता है | गह गर्व । गंजण-जीतने वाला, मिटाने वाला, नाश करने वाला । वार-समय । श्रालम - संसार, ईश्वर । सरण - साधार - शरण में आये हुयेकी रक्षा करने वाला । भिड़ेभिड़ कर, युद्ध कर । भंजणा - पराजित करने वाला । समराथ- समर्थ । चुरस - महान । धमचक-युद्ध | वीरचाळा - वीरोंका कार्य, वीरोंका चरित्र । वीरती - शौर्य, वीरता । ताखड़ा-तेज | जोध-योद्धा । किसौ-कौनसा । जोड़-बराबर । काळा - महावीर, योद्धा । कीरती - यश । सूरकुळ - सूर्यवंश । श्रणघट - अपार । नट-नहीं नटने वाला। जीहजीभ, जिव्हा । वयण - वचन | दाखिया - कहे । वेहा- विधाता, ब्रह्मा ।
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